इमरान के बयान भाजपा के लिए बनते हैं मुफीद: 2014 में PM को बोटी-बोटी काट देने वाले बयान से बदल गए थे समीकरण

सहारनपुर9 मिनट पहले

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पूर्व विधायक इमरान मसूद।- फाइल फोटो - Dainik Bhaskar

पूर्व विधायक इमरान मसूद।- फाइल फोटो

पश्चिमी यूपी के कद्दावर नेता इमरान मसूद मीडिया में बने रहने का पुराना फंडा है। अपने समर्थकों को आकर्षित करना हो या फिर सहानुभूति बटोरना हो, वह इससे कभी पीछे नहीं हटते हैं। पार्टी छोड़ने से पहले अगली पार्टी में जाने की भूमिका तैयार कर लेते हैं। वह उससे पहले पार्टी की प्रशंसा करना शुरू कर देते हैं। बसपा में रहते हुए उनका बड़बोलापन उनके लिए मुसीबत बना या फिर उन्होंने इसकी स्क्रिप्ट पहले ही तैयार कर रखी थी। यह सवाल लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

सपा में 274 दिन और बसपा में 316 रहे इमरान

राहुल गांधी के साथ इमरान मसूद का फाइल फोटो।

राहुल गांधी के साथ इमरान मसूद का फाइल फोटो।

इमरान मसूद के दल बदलने और पार्टियों से जल्द ही मोह भंग होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह सपा की साइकिल 274 दिन यानी 8 माह ही चला पाए। 11 जनवरी 2022 को कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हुए और 18 अक्टूबर 2022 को सपा को अलविदा कह दिया। फिर 19 अक्टूबर 2022 को हाथी के महावत बने और बड़ी जिम्मेदारी बसपा ने उन्हें दी। उन्हें वेस्ट यूपी का संयोजक बनाया गया। लेकिन हाथी से भी उनका जल्द ही मोह भंग हो गया। 2024 लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने की उम्मीद के बाद उन्होंने कांग्रेस का अलाप गाना शुरू कर दिया। जिसके बाद बसपा ने 29 अगस्त 2023 को इमरान को पार्टी से बहार निकाल दिया। बसपा में वह 316 दिन यानी 10 माह ही रह पाए।

पढ़िए..उनका पार्टियों का प्रेम

कांग्रेस में रहते हुए सपा की बड़ाई की थी
इमरान मसूद 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में थे। लेकिन जब उन्हें लगा सपा की हवा चल रही है तो उन्होंने कांग्रेस में रहते हुए सपा के प्रति प्रेम जाग उठा। उन्होंने कहा, ‘यह साफ है कि अगर मैं अब भी कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लडूंगा, तो फायदा भाजपा को ही होगा। अब यह साफ हो चुका है कि भाजपा से मुकाबला करने की स्थिति में केवल सपा ही है।’ इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और सपा में जाने की खुद ही घोषणा कर दी। लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव उन्हें लगातार इग्नौर करने में लगे हुए थे।

उन्होंने बयान दिया, ‘मुसलमानों एक हो जाओ। तुम्हारे वजह से पैर पकड़ लिए हैं। तुम मुसलमान सीधे हो जाओ। मेरे से पैर पकड़वा दिए। मेरा कुत्ता बना दिया है। तुम एक हो जाओगे तो वह मेरे पैर पकड़कर खुद टिकट देंगे।’ चार जनवरी को खुद ही सपा में शामिल होने की घोषणा कर दी। लेकिन 11 जनवरी 2022 को विवादित बयान के बाद सपा ने उनके समर्थन देने की घोषणा कर दी। हालांकि उन्हें पार्टी में शामिल होने की बात अखिलेश यादव ने नहीं की। उन्होंने पार्टी में शामिल होने का ट्वीट भी नहीं किया था। जिससे वह खासे नाराज भी दिखाई दिए।

बसपा में रहते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी का मोह
इमरान ने कहा था, ‘पूरे देश में राहुल गांधी एक ऐसे नेता हैं, जो बेखौफ होकर जनता के पक्ष में बोलते हैं। मैंने प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के साथ काम किया है। दोनों ही बेहतरीन इंसान हैं। राहुल आज की सियासत के हीरो हैं।’ इस बयान के चंद घंटे बाद ही बसपा ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। पार्टी से निकाले जाने के बाद इमरान मसूद ने बसपा को ही घेरने का काम कर दिया।

उन्होंने आरोप लगाया, ”बसपा मुझसे 5 करोड़ रुपए की डिमांड कर रही थी। लेकिन, मेरे पास इतने रुपए नहीं हैं। मैंने देने से इनकार किया तो मुझे पार्टी से निकाल दिया।’ इमरान ने कहा, ”मैं पार्टी के वोट बैंक से नहीं, अपने दम पर चुनाव लड़ता हूं। योद्धा कभी दबता नहीं है और हम योद्धा हैं। हमने विपरीत परिस्थतियों में हमेशा लड़ा है। हार के डर से मैं कभी घर नहीं बैठता हूं। मैं तो निकाय चुनाव में पार्टी को 8 हजार से डेढ़ लाख वोट पर ले गया। उसके बाद भी बसपा समझ नहीं पा रही है।’

INDIA गठबंधन के प्रति जागा प्रेम
राजनीति टीकाकारों का कहना है, इमरान मसूद भले ही राजनीति में धुंरधर माने जाते हों। लेकिन राजनीति हवा का उन्हें अंदाजा नहीं रहता है। वह जिसकी हवा चलती है, उसी हवा में बहने की कोशिश करते हैं। लेकिन परिणाम वहीं ढाक के तीन पात। वोटबैंक भले ही उनके पास हों। लेकिन वह जिस पार्टी में जाते हैं, अपने विवादित बयानों से पार्टी को मुसीबत में डालने का काम करते हैं। चाहे वह कांग्रेस, सपा या फिर बसपा हो।

कांग्रेस में रहते हुए दिया था विवादित बयान
2014 लोकसभा चुनाव में इमरान मसूद ने एक जनसभा में PM को जान से मारने तक की धमकी दी थी। जिसका एक वीडियो भी खूब वायरल हुआ था। उन्होंने कहा था, ‘मोदी यूपी को गुजरात न समझें। गुजरात में सिर्फ 4% मुसलमान हैं, जबकि यूपी में मुसलमानों की संख्‍या 42% है। यदि मोदी ने यूपी को गुजरात बनाने की कोशिश की, तो यहां के मुसलमान मोदी को कड़ा सबक सिखाएंगे और उनकी बोटी-बोटी काट देंगे। मैं एक छोटे बच्‍चे को भी उसकी ताकत का एहसास करा दूंगा, ताकि वह किसी से भी न डरे। हम अपने साथियों के लिए किसी को भी मार देंगे या मर जाएंगे।’ हालांकि इस बयान के बाद उन्हें 14 दिन जेल में भी रहना पड़ा था।

सपा में भी हुई अंदरूनी कलह
इमरान मसूद टिकट की उम्मीद में लास्ट टाइम सपा में समर्थन की घोषणा की गई। लेकिन टिकट न मिलने से वह बौखला गए। लेकिन अखिलेश यादव के करीबी विधायक आशु मलिक से राजनीतिक विचारधारा नहीं मिल सकी। सपा विधानसभा चुनाव में दो फाड़ हो गई। दोनों नेताओं ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। जिसके बाद इमरान को ही पार्टी छोड़ने पड़ी।

जिला पंचायत के वार्ड 43 में प्रत्याशी को लेकर दोनों में टकराव हुआ। इमरान मसूद ने आशा लता को सपा का खुद ही कैंडिडेट घोषित कर दिया। लेकिन सपा विधायक आशु मलिक पार्टी से अवनीश त्यागी को प्रत्याशी घोषित करा लाए। जिसके बाद दोनों में राजनीतिक तलवारें खींच गई। इमरान मसूद 26 जुलाई 2022 को प्रत्याशी आशा लता के लिए एक गांव में वोट मांगने पहुंचे। उन्होंने बिना नाम लिए अखिलेश यादव पर निशाना साधा था। इमरान ने कहा था, “हमने जिला पंचायत के उपचुनाव में आशा लता का पर्चा भरवाया। लखनऊ से परवाना आया, यह अधिकृत प्रत्याशी नहीं। इसका मतलब क्या है? यानी हमें बेइज्जत किया जाएगा।”

2014 से इमरान को भूना रही भाजपा
राजनीतिक टीकाकारों का कहना है, 2014 में लोकसभा चुनाव में इमरान मसूद के विवादित बयान से भले ही पीएम नरेंद्र मोदी प्रहार कर राजनीति चमकाने की कोशिश की हो। इमरान के इस बयान से कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ और भाजपा को फायदा। लोकसभा चुनाव, विधानसभा, निकाय चुनाव या फिर जिला पंचायत के चुनाव हों, इमरान के विवादित बयानों से भाजपा को ही फायदा हुआ है। यहीं कारण है कि भाजपा इमरान को लेकर कोई भी बयानबाजी नहीं करती है। क्योंकि भाजपा को पता है कि इमरान मसूद के विवादित बयानों से उन्हें ही फायदा होता है और विपक्षी पार्टियों की मुसीबत बढ़ जाती है। अब तो दबी जुबान से वोटर भी कहने लगे हैं कि इमरान मसूद अपने बयानों से भाजपा को वोट कन्वर्ट कराते हैं।

इमरान मसूद का राजनीति इतिहास

  • 2023 में निकाय चुनाव में अपनी समधन को बसपा के टिकट पर चुनाव लड़वाया। लेकिन करीब 8 हजार वोटों के अंतर से भाजपा के डॉ.अजय सिंह से हारना पड़ा।
  • 2019 के लोकसभा चुनाव में इमरान को कांग्रेस पार्टी ने सहारनपुर सीट से टिकट दिया। तमाम प्रयासों के बावजूद इमरान तीसरे स्थान पर रहे। इस सीट पर बसपा के हाजी फजलुर्रहमान ने जीत दर्ज की और भाजपा के राघव लखन दूसरे स्थान पर रहे।
  • 2017 में इमरान एक बार फिर से चुनाव लड़े और भाजपा के डा.धर्म सिंह सैनी से नकुड़ की विधान सभा सीट से हार गए।
  • 2014 में इमरान ने सहारनपुर लोकसभा चुनाव भाजपा के राघव लखनपाल के सामने लड़ा। जिसमें वह 50,000 से अधिक मतों से हार गए।
  • 2012 में इमरान फिर नकुड़ सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और भाजपा के डा.धर्म सिंह सैनी से 4564 मतों के अंतर से हार गए।
  • 2007 में इमरान मसूद निर्दलीय बेहट सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जगदीश राणा को 3683 मतों के अंतर से हराकर जीत गए थे।

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