सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या. अयोध्या में बनने वाले नवनिर्मित राम मंदिर में स्थापित होने वाले रामलला के ठाठ भी अब निराले होने वाले हैं. राम जन्मभूमि परिसर में करोड़ों राम भक्तों की आराध्या का दिव्य और भव्य मंदिर आकार लेता दिख रहा है. जनवरी माह के शुभ मुहूर्त में प्रभु राम अपने भव्य महल में विराजमान होंगे और अद्भुत दर्शन देंगे.
ट्रस्ट से जुड़े सूत्रों की मानें तो भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद प्रतिदिन रामलला की छह प्रकार की आरती होगी. बेला आरती से सुबह होगी, जब रामलला को जगाया जाएगा. उसके बाद रामलला का अभिषेक किया जाएगा. अभिषेक के बाद रामलला की दूसरी आरती यानी लगभग 7:30 बजे होगी, जिसे श्रृंगार आरती के नाम से जाना जाएगा.
इसके साथ रामलला की तीसरी आरती राजभोग के साथ होगी, जिसे राजभोग आरती के नाम से जाना जाएगा. चौथी आरती रामलला के जागने के साथ होगी, जिसे उद्यापन आरती कहा जाएगा. इसके अलावा रामलला की पांचवीं आरती शाम के समय में होगी, जिसे संध्या आरती के नाम से जाना जाएगा. अंतिम आरती शयन आरती होगी.
रामलला के पूजन पद्धति को लेकर चर्चा
मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद उनकी पूजा आराधना को लेकर बीते दिनों तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने अयोध्या के वरिष्ठ संतों के साथ विचार विमर्श किया. बैठक में अनेक संत और धर्माचार्य मौजूद रहे, जिसमें जगद्गुरु राम दिनेशाचार्य ने बताया कि बैठक में भगवान रामलला के पूजन पद्धति को लेकर चर्चा हुई है. भगवान की पूजन विधि को लेकर संत समाज ने अपने प्रस्ताव रखे हैं.
गज और गौ का दर्शन कराया जाएगा
जगतगुरु ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुकूल भगवान रामलला जब सुबह उठेंगे तब उन्हें गज और गौ दर्शन कराने की चर्चा भी हुई है. सरयू नदी जल लाने के लिए विशेष प्रबंध, भगवान रामलला के बाल भोग, राजभोग, अभिषेक की परंपरा पर बैठक में चर्चा हुई है. जगदगुरु राम दिनेशाचार्य ने बताया कि अभी 6 आरती की रूपरेखा बनी है, लेकिन इस पर मुहर नहीं लगी है. आरती पद्धति पर अंतिम मुहर ट्रस्ट ही लगाएगा.
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FIRST PUBLISHED : September 09, 2023, 21:12 IST