अफजल खान को जिस वाघनख से शिवाजी ने मारा था, उसे ब्रिटेन से वापस लाया जाएगा: मुनगंटीवार

Sudhir Mungantiwar

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इस संग्रहालय के अनुसार, यह हथियार ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स ग्रांट डफ (1789-1858) को दिया गया था जिसे तत्कालीन सातारा रियासत का रेसीडेंट (राजनीतिक एजेंट) नियुक्त किया गया था। मराठा साम्राज्य के तत्कालीन पेशवा (प्रधानमंत्री) ने डफ को यह वाघनख दिया था।

महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने शुक्रवार को कहा कि सन् 1659 में बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान का वध करने में छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा इस्तेमाल किए गए ‘वाघनख’ (बाघ के पंजे जैसा लोहे का हथियार) को नवंबर में लंदन से भारत लाए जाने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि 17वीं सदी के मराठा शासक छत्रपति की प्रसिद्ध ‘जगदंबा’ तलवार को भी लंदन के संग्रहालय से वापस लाने की कोशिश की जा रही है।
वाघनख को वापस लाने के वास्ते मुनगंटीवार सहमति पत्र पर दस्तखत करने के लिए इस महीने ब्रिटेन जाएंगे।
मुनगंटीवार ने कहा, ‘‘पहले चरण में हम वाघनख ला रहे हैं। यह यहां नवंबर में लाए जाने की संभावना है और हम इसके लिए सहमति पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं।

हमारा प्रयास इसे उस दिन लाना है जिस दिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान की अंतड़ियां निकाल दी थीं।’’
इस वाघनख को दक्षिण मुंबई के छत्रपति शिवाजी संग्रहालय में रखे जाने की संभावना है।
अफजल खान का वध मराठा इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। खान की विशाल सेना को मराठाओं ने गुरिल्ला युद्ध के माध्यम से हरा दिया था।
महान मराठा शासक ने इस वाघनख का इस्तेमाल करते हुए खान को मार डाला था (जब वे दोनों वर्तमान सातारा जिले के प्रतापगढ़ किले की सीढ़ियों पर मिले थे)। यह प्रकरण लोककथाओं का हिस्सा बन गया।
मुनगंटीवार ने कहा, ‘‘जब अफजल खान ने भेंट के दौरान शिवाजी महाराज की पीठ में छुरा घोंपा तो शिवाजी महाराज ने वाघनख से क्रूर अफजल खान को मार डाला।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वाघनख हमारे लिए प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है। इस साल शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ है।’’
लंदन स्थित विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूजियम में इस वाघनख को रखा गया है। इस संग्रहालय के अनुसार, यह हथियार ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स ग्रांट डफ (1789-1858) को दिया गया था जिसे तत्कालीन सातारा रियासत का रेसीडेंट (राजनीतिक एजेंट) नियुक्त किया गया था। मराठा साम्राज्य के तत्कालीन पेशवा (प्रधानमंत्री) ने डफ को यह वाघनख दिया था।

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