अनोखी प्रथा: वर्षों से लोगों के अरमानों का बोझ उठा रहा ये पेड़, कई क्विंटल लोहे धंसे हैं इसकी देह पर

प्रिंस भरभूँजा/छतरपुर. आस्था की एक ऐसी तस्वीर जो आपको हैरान कर देगी. मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के वरट गांव में एक नजारा काफी अचरज है, लेकिन लोगों की धार्मिक आस्था इससे जुड़ी है. दरअसल, एक चबूतरे के पास लगे पेड़ पर बेइंतेहा सांकल (कुंडी) को ठोका गया है. स्थानीय लोगों का मानना है कि इस चबूतरे में सकार्या गौड़ देवता का वास हैं और यहां पर मांगी गई हर एक मन्नत पूर्ण होती है. स्थानीय निवासी ने बताया कि इस चबूतरे के पास आकर जो भी देवता की प्रार्थना करता है और मन्नत मांगता है उसकी सभी मन्नतें पूर्ण होती है.

मन्नत पूर्ण होने के बाद यहां पर सांकल (कुंडी) चढ़ाना आवश्यक है. वरट गांव में स्थित पेड़ कई क्विंटल लोहे की सांकल से लदा हुआ है. इस पेड़ में हजारों की संख्या में सांकल चढ़ाई गई हैं. लोगों की ऐसी आस्था है कि जिनकी भी मनोकामना पूर्ण होती है, उन्हें इस पेड़ पर सांकल अवश्य चढ़ानी पड़ती है. भले ही वह कई प्रकार के पुण्य धर्म के कार्य करे, लेकिन जब तक यहां पर सांकल नहीं चढ़ाते तब तक सभी पुण्य धर्म के कार्य अधूरे माने जाते हैं.

दूर-दूर से आते हैं लोग
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस सकार्या गौड़ बाबा के स्थान पर दूर-दूर से लोग अपनी मन्नतें एवं मनोकामनाएं लेकर आते हैं और उनके कार्य भी सिद्ध होते हैं. राम बहादुर राजपूत ने बताया कि इस स्थान पर सैकड़ो हजारों किलोमीटर दूर के लोग आते हैं और अपनी विभिन्न प्रकार की व्याधियों एवं परेशानियों से मुक्ति पाकर यहां से कुशल होकर जाते हैं.

चबूतरे पर लगाई जाती है अर्जी
इस स्थान को लेकर एक और विशेष मान्यता है कि यहां पर कोई भी पंडा पुजारी नहीं बैठते. यहां पर जो भी अर्जी लगाई जाती है वह चबूतरे के पास जाकर अपने मन में बोलकर लगाई जाती है. अर्जी पूर्ण होने पर सांकल (कुंडी) चढ़ाने का वादा करना पड़ता है. तब जाकर यहां पर लोगों की मन्नते पूर्ण होती है. रहस्यमई बात यह है कि इस स्थान पर सकार्या गौड़ बाबा स्वयं अर्जियां सुनते हैं और लोगों की समस्याओं का निदान भी करते हैं.

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