अकबर लोन के ‘पाक समर्थित भाषण’ पर सुप्रीम कोर्ट सख्‍त, संविधान के प्रति निष्ठा का शपथ पत्र दाखिल करने को कहा

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केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि सदन के पटल पर पाकिस्तान जिंदाबाद की लोन की टिप्पणी की अपनी गंभीरता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद मोहम्मद अकबर लोन को एक हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें कहा गया हो कि वह भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं और जम्मू-कश्मीर देश का अभिन्न अंग है। शीर्ष अदालत का आदेश केंद्र द्वारा 2018 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पटल पर लोन द्वारा कथित तौर पर पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने पर कड़ी आपत्ति जताने के बाद आया है। इससे पहले दिन में केंद्र ने मांग की थी कि उन्हें एक हलफनामा दायर करना होगा जिसमें कहा गया है कि वह वह भारत के संविधान के प्रति निष्ठा रखते हैं’ और वह ‘पाकिस्तान द्वारा…आतंकवाद का विरोध और आपत्ति करते हैं।

केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के सामने कहा कि सदन के पटल पर पाकिस्तान जिंदाबाद की लोन की टिप्पणी की अपनी गंभीरता है। लोन संविधान के अनुच्छेद 370 में किए गए बदलावों को चुनौती देने वाली याचिकाओं में एक प्रमुख याचिकाकर्ता हैं। यह मामला गैर सरकारी संगठन रूट्स इन कश्मीर ने अदालत के समक्ष उठाया था। मेहता ने कहा कि अदालत को इस नजरिए से देखना चाहिए कि अनुच्छेद 370 को जारी रखने की मांग कौन कर रहा है। 

मेहता ने कहा कि लोन कोई सामान्य व्यक्ति नहीं हैं बल्कि वह संसद सदस्य हैं और यह पर्याप्त नहीं है कि वह पश्चाताप व्यक्त करें। उन्हें कहना होगा कि मैं जम्मू-कश्मीर या अन्य जगहों पर पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद और किसी भी अलगाववादी गतिविधि का विरोध और आपत्ति करता हूं। इसे रिकॉर्ड पर आना चाहिए।

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