अंडा बेचने वाले की बेटी ने नेशनल चैंपियनशिप में जीता गोल्ड, कड़ी मेहनत से टीम में बनाई जगह

सौरभ तिवारी/अंबिकापुर. वे कहते हैं कि अगर सच्चे मन से सपने देखे जाएं और उन सपनों को पूरा करने में जी जान लगाकर मेहनत की जाए, तो वह सपने जरूर पूरे होते हैं. इसी तरह की एक अद्भुत कहानी हमें अंबिकापुर, छत्तीसगढ़ के एक परिवार के बारे में सुनाती है, जहां उनकी बेटी अंकिता ने अपनी मेहनत और संघर्ष से पूरे परिवार, अपने पिता सहित अपने प्रदेश का नाम रोशन किया है. अंबिकापुर के गांधीनगर में रहने वाले नरेश गुप्ता एक अंडे बेचने वाले काम में लगे हैं, और उन्होंने अपने परिवार के लिए अपने हाथों से मेहनत की है. इस परिवार में तीन बेटियां हैं, और अंडे बेचने का काम ही इनके गुजारे का साधन बन चुका है. नरेश गुप्ता ने अपनी सबसे छोटी बेटी, अंकिता, के नाम से अपनी खुद की अंडे की दुकान खोली है, और अब बेटी अंकिता ने अपने पिता के साथ ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश का नाम भी रोशन किया है.

अंकिता ने 13 साल की आयु में नेशनल सब जूनियर बास्केटबॉल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया. अंकिता की अद्वितीय मेहनत और परिवार की संघर्षपूर्ण हालतों को देखते हुए, कोच राजेश प्रताप सिंह और राजेश्वर राव ने उनकी मदद की और उन्हें टैलेंट सर्च प्रोग्राम में शामिल किया. चयन के बाद, अंकिता अब दिल्ली पब्लिक स्कूल राजनांदगांव में मुफ्त प्रशिक्षण के साथ पढ़ाई भी कर रही है.

चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल किया हासिल
तमिलनाडु में आयोजित राष्ट्रीय सब जूनियर बास्केटबॉल चैम्पियनशिप में छत्तीसगढ़ की बालिका टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है. इस चैम्पियनशिप में प्रदेश का प्रतिष्ठान अम्बिकापुर की खिलाड़ी अंकिता गुप्ता ने किया, जिन्होंने टीम का प्रतिनिधित्व किया. छत्तीसगढ़ प्रदेश के नाम को गर्व में बदल दिया है चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल करके. छत्तीसगढ़ की टीम ने मेजबान राज्य की टीम को दो प्वाइंट से मात देने में सफलता प्राप्त की है, जिससे वे गर्व महसूस कर रहे हैं.

बचपन से ही बास्केटबॉल से प्रेम
राजेश प्रताप सिंह, अंकिता के कोच, ने बताया की कैसे अंकिता ने अपनी मेहनत और संघर्ष से इस मुकाम तक पहुंचा. उन्होंने बताया की अंकिता गुप्ता ने बचपन से ही बास्केटबॉल से प्रेम किया है और उनकी मेहनत ने उन्हें यह मुकाम हासिल करने में मदद की. अंकिता के पिता नरेश गुप्ता एक अंडा ठेला चलाते हैं और उनका साथ देते हैं. वे तीन बहनों में सबसे छोटी हैं और उनकी बड़ी बहनें भी बास्केटबॉल के प्रेमी हैं और उन्होंने अंकिता को मार्गदर्शन किया है.

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