Yes Milord: क्यों सुप्रीम कोर्ट में CJI के सामने पेश की गई शराब? अडानी-हिंडनबर्ग केस में क्या आया सुप्रीम फैसला, जानें इस हफ्ते कोर्ट में क्या कुछ हुआ

सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी उथल-पुथल वाला रहा है। मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर नए कानून में संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिली। अडानी हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सेबी की जांच में दखल से साफ इनकार कर दिया है। क्यों सीजेआई चंद्रचूड़ के सामने वकील ने रख दीं व्हिस्की की 2 बोतलें। सुप्रीम कोर्ट ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को राष्ट्रीय पुत्र घोषित करने की याचिका खारिज कर दी। मथुरा के शाही ईदगाह को कृष्ण जन्मभूमि घोषित करने की मांग वाली याचिका हुई खारिज। इस सप्ताह यानी 01 जनवरी से 06 जनवरी 2024 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।

सीईसी नियुक्ति से जुड़े कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले पैनल से चीफ जस्टिस को हटाने पर राजनीतिक विवाद के बीच एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर नए कानून को रद्द करने का आग्रह किया है। ये कानून केंद्र को चुनाव आयोग में नियुक्तियां करने की व्यापक शक्तियां देता है। वकील गोपाल सिंह द्वारा दायर याचिका में सीईसी और ईसी की नियुक्ति के लिए तटस्थ और स्वतंत्र चयन समिति का गठन कर स्वतंत्र और पारदर्शी प्रणाली लागू करने का निर्देश दिया गया है। याचिका में कहा गया कि चयन समिति में सीजेआई होने चाहिए। 

अडानी-हिंडनबर्ग केस में जांच सीबीआई-एसआईटी से नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने अडाणी ग्रुप पर शेयरो के मूल्य में हेराफेरी किए जाने के आरोपों की जांच विशेष जांच दल (SIT) या सीबीआई से कराने से इनकार कर दिया। इसके साथ हो मार्केट रेगुलेटर सेबी से दो लॉचत मामलों की जांच तीन महीने के भीतर करने के निर्देश दिए। चीफ जस्टिस डी. बाई. चंद्रचूड़ की अगुआई वाली तेच ने कहा कि कोर्ट को सेबी की नीतियों में दखल देने से बचना चाहिए। बेच ने कहा कि जांच का जिम्मा किसी और को सौंप जाने की जरूरत नहीं है। सेबी ने अडाणी ग्रुप पर आरोपों से जुड़े 24 में से 22 मामलों में अपनी जांच पूरी कर ली है। सेबी की और से सॉलीसिटर जनरल ने आश्वासन दिया है उस पर कोर्ट ने गौर किया और उस रिपोर्ट को भी खारिज किया जिसमें कहा। गया था कि SEEM जांच के प्रति उदास है। 

जब सीजेआई के सामने आईं व्हिस्की की दो बोतलें

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ उस वक्त हैरान रह गए जब दो शराब कंपनियों के बीच ट्रेडमार्क उल्लंघन विवाद की सुनवाई के दौरान उनके सामने दो व्हिस्की की बोतलें पेश की गईं। सीजेआई की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने इंदौर स्थित कंपनी, जेके एंटरप्राइजेज को ‘लंदन प्राइड’ नाम के तहत पेय पदार्थ बनाने से रोकने के लिए शराब कंपनी पेरनोड रिकार्ड की अपील को खारिज कर दिया था। सुनवाई शुरू होते ही वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ से अनुरोध किया कि उन्हें अदालत के अंदर उत्पाद लाने की अनुमति दी जाये। इसके बाद वरिष्ठ वकील शराब की दो बोतलें अपनी मेज पर रखने के लिए आगे बढ़े, जहां वह बहस कर रहे थे। इसके बाद व्हिस्की की बोतलें सीजेआई के सामने रखी गई। इस असामान्य दृश्य को देखक सीजेआई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा जोर से हंसे और कहा आप अपने साथ बोतलें लाए हैं? रोहतगी ने सकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि उन्हें दोनों उत्पादों के बीच समानता दिखानी होगी। फिर उन्होंने बताया कि इस मामले में ट्रेडमार्क का उल्लंघन कैसे हुआ। 

सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई नेताजी को ‘देश का बेटा’ घोषित करने की मांग वाली याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे नेता अमर हैं और उन्हें न्यायिक आदेश के माध्यम से मान्यता देने की आवश्यकता नहीं है। याचिका में बोस को देश का बेटा घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। इसके अलावा भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका को कथित तौर पर कमतर करने और उनके लापता होने या मृत्यु के बारे में सच्चाई का खुलासा नहीं करने के लिए कांग्रेस से माफ़ी की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत के अनुसार, देश के स्वतंत्रता संग्राम में बोस की भूमिका को स्वीकार करने की घोषणा के लिए न्यायिक आदेश अनुचित होगा। यह उनके जैसे नेता के कद के अनुकूल नहीं हो सकता है कि उन्हें अदालत से मान्यता के एक शब्द की आवश्यकता हो।

शाही ईदगाह से जुड़ी याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण और साइट को श्री कृष्ण जन्मभूमि घोषित करने की मांग वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार कर दिया, यह देखते हुए कि मुकदमेबाजी की बहुलता उचित नहीं थी जब सिविल सूट का एक बंडल हो। मामले पर फैसला सुनाया जा रहा था। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि आइए मुकदमेबाजी की बहुलता न रखें। आपने इसे जनहित याचिका के रूप में दायर किया, इसलिए इसे खारिज कर दिया गया।

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