सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी उथल-पुथल वाला रहा है। एएमयू अल्पसंख्यक दर्जा मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा। चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात पुलिसकर्मियों को क्यों लगाई फटकार? कलकत्ता हाईकोर्ट के दो जजों की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को हलाल सर्टिफिकेट मामले पर नोटिस जारी किया। इस सप्ताह यानी 22 जनवरी से 27 जनवरी 2024 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।
आमने सामने हाई कोर्ट के जज
कलकत्ता हाई कोर्ट के एक फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने डबल बेंच के फैसले को नजरअंदाज किया था। दरअसल, जस्टिस गंगोपाध्याय ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भर्ती अनियमितताओं से जुड़े एक मामले की CBI जांच का आदेश दिया था। लेकिन, जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस उदय कुमार की बेंच ने इस पर रोक लगा दी। जस्टिस गंगोपाध्याय ने कहा कि जस्टिस सौमेन सेन जो कर रहे हैं वह राज्य की सत्ता में राजनीतिक दल को बचाने के लिए कर रहे हैं। उनकी हरकतें साफ तौर से कदाचार के समान हैं। जजों के वीच टकराव के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर संज्ञान लिया है और इस पर सुनाई करेगा।
हलाल सर्टिफिकेशन बैन पर यूपी को नोटिस
उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेशन पर लगाए गए बैन के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट पर बैन किया है, जिसके तहत ऐसे उत्पाद के निर्माण, बिक्री और स्टोरेज पर बैन किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले को ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत चीफ महमूद मदनी और दूसरे पदाधिकारियों के खिलाफ किसी भी दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस संदीप मेहता ने गुरुवार को इस मामले में दाखिल जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट की अर्जी पर सुनवाई पर सुनवाई करने का फैसला किया।
एएमयू ने अपनी मर्जी से छोड़ा था अल्पसंख्यक दर्जा
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र से सवाल किया कि आखिर वह कैसे कह सकते हैं कि सरकार संसद के संशोधन का साथ नहीं दे सकती? दरअसल केंद्र के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 1981 में AMU को अल्पसंख्यक दर्जा देने के लिए संसद ने जो संशोधन किया था, उसका सपोर्ट नहीं करते। इस पर 7 जजों की संविधान पीठ ने सवाल उठाया कि आखिर वह संसद के संशोधन का विरोध कैसे कर सकते हैं। संसद अनश्वर, अविभाज्य और निरंतर इकाई है। मेहता ने कहा कि संसद के 1981 के संशोधन को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 1981 में खारिज किया और उसके तमाम आधार वताए।
चंडीगढ़ निगम चुनाव पर हाई कोर्ट सख्त
चंडीगढ़ नगर निगम मेयर चुनाव को लेकर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने निगम अधिकारियों को फटकार लगाई है। मेयर चुनाव को लेकर अव हाई कोर्ट में बुधवार को दोवारा सुनवाई होगी। जिसमें चंडीगढ़ प्रशासन चुनाव कार्यक्रम के लिए हाई कोर्ट को जानकारी चंडीगढ़ देगा। मेयर चुनाव 18 जनवरी से अब तक लटका हुआ है। प्रशासन ने चुनाव को लेकर 6 फरवरी की नई तारीख घोषित की हुई है। लेकिन 6 फरवरी को चुनाव होने से आप-कांग्रेस गठबंधन को आपत्ति है।
लोगों को खंभे से बांधकर पीटने का हक किसने दिया
सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े एक मामले में गुजरात पुलिस के अधिकारी से सवाल किया कि आपने किस कानून के तहत लोगों को पोल से बांधा और पीटा ? इस मामले में चार पुलिसकर्मियों पर कंटेप्ट के मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने उन्हें 14 दिन कैद की सजा दी थी। मामले में पुलिसकर्मियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वी.आर. गवई की अगुवाई वाली वेंच ने पुलिसकर्मियों की अपील सुनवाई के लिए स्वीकार तो कर ली, लेकिन सख्त टिप्पणी भी की। यह घटना तीन अक्टूबर 2022 को खेडा जिले की बताई जा रही है। एक विडियो क्लिप में देखा गया था कि पुलिसकर्मियों ने कुछ लोगों के साथ मारपीट की थी। जिनको पीटा गया था, वे अल्पसंख्यक समुदाय के थे।