World Stroke Day: कम उम्र में इन 5 वजहों से स्ट्रोक का हो सकते हैं शिकार, तुरंत सुधारें आदतें, वरना…

हाइलाइट्स

स्ट्रोक को ब्रेन स्ट्रोक भी कहा जाता है और यह दिमाग से जुड़ी गंभीर समस्या है.
ब्रेन स्ट्रोक की वजह से लोग लकवाग्रस्त हो सकते हैं और मौत भी हो सकती है.

Stroke Causes, Treatment & Prevention: स्ट्रोक ब्रेन से जुड़ी एक खतरनाक बीमारी है, जिसे आम बोलचाल की भाषा में ब्रेन स्ट्रोक कहा जाता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार दुनियाभर में हर साल 1.50 करोड़ लोग ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हो जाते हैं. इनमें से 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है, जबकि 50 लाख से ज्यादा लोगों को लकवा मार जाता है. जिन लोगों को सही समय पर इलाज मिल जाता है, उनकी जान बच जाती है और स्ट्रोक को रिवर्स करने में कामयाबी मिल जाती है. स्ट्रोक विश्व की सबसे खतरनाक बीमारियों से एक है, जिसकी चपेट में किसी भी उम्र के लोग आ सकते हैं. हर साल स्ट्रोक के बारे में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से वर्ल्ड स्ट्रोक डे (World Stroke Day) मनाया जाता है. इस खास मौके पर डॉक्टर से स्ट्रोक के बारे में अहम बातें जान लेते हैं.

फोर्टिस हॉस्पिटल (ग्रेटर नोएडा) के न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के कंसल्टेंट डॉ. प्रशांत अग्रवाल के मुताबिक स्ट्रोक हार्ट अटैक की तरह होता है. हार्ट अटैक में दिल को खून की सप्लाई करने वाली ब्लड वेसल्स में क्लॉट बन जाता है और स्ट्रोक की कंडीशन में ब्रेन में ब्लड की सप्लाई रुक जाती है. इसकी वजह से ब्रेन की सेल्स को नुकसान होता है और कई लोगों की इससे मौत हो जाती है, जबकि कुछ लोग इससे लकवाग्रस्त हो जाते हैं. स्ट्रोक आमतौर पर दो तरह का होता है. पहला आइसेमिक स्ट्रोक (ischemic stroke) और दूसरा हैमेरेजिक स्ट्रोक (hemorrhagic stroke). आइसेमिक स्ट्रोक में ब्रेन को खून की सप्लाई करने वाली ब्लड वेसल्स में क्लॉट बनने की वजह से रुकावट आती है और खून की सप्लाई बंद हो जाती है. हैमेरेजिक स्ट्रोक में खून का बहाव बहुत ज्यादा होने की वजह से ब्लड बेसल्स फट जाती है. दोनों ही कंडीशन जानलेवा होती हैं और इससे शरीर का कुछ हिस्सा लकवाग्रस्त हो सकता है.

किन युवाओं को स्ट्रोक का ज्यादा खतरा?

डॉ. प्रशांत अग्रवाल कहते हैं कि ब्रेन स्ट्रोक का सबसे ज्यादा खतरा 50-55 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को होता है, लेकिन वर्तमान समय में कम उम्र के लोग भी तेजी से इसका शिकार हो रहे हैं. आज के दौर में लोग अत्यधिक तनाव ले रहे हैं और उनकी लाइफस्टाइल व खान-पान बिगड़ चुका है, जिसकी वजह से उन्हें भी स्ट्रोक का खतरा पैदा हो गया है. आमतौर पर ब्रेन स्ट्रोक अत्यधिक ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की वजह से होता है. कई बार हार्ट के एरिया में बने क्लॉट ब्रेन में पहुंच जाते हैं, जिससे स्ट्रोक की नौबत आ जाती है. कम उम्र के जो लोग डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या हार्ट डिजीज का शिकार हो चुके हैं, उन्हें स्ट्रोक का खतरा सबसे ज्यादा होता है.

इतना ही नहीं, जिन लोगों को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (obstructive sleep apnea) की परेशानी होती है, उन्हें भी स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है. ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया एक परेशानी है, जिसकी वजह से सोते वक्त लोगों को तेज खर्राटे आते हैं और सांस ठीक तरीके से नहीं ले पाते हैं. ऐसे लोगों को तुरंत पल्मनोलॉजिस्ट से मिलकर इलाज कराना चाहिए. अत्यधिक स्मोकिंग और एल्कोहल का सेवन करने से भी ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर परेशानी का खतरा बढ़ जाता है.

यह भी पढ़ें- सर्दियों में क्यों बढ़ जाते हैं हार्ट अटैक के मामले? डॉक्टर ने बताई असली वजह, इन 3 तरीकों से दिल रखें सुरक्षित

क्या हैं ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण और इलाज?

एक्सपर्ट की मानें तो ब्रेन स्ट्रोक के दौरान लोगों का बैंलेंस बिगड़ने लगता है और आंखों के सामने अंधेरा हो जाता है. इससे व्यक्ति का विजन ब्लर होने लगता है. स्ट्रोक की वजह से लोगों को बोलने में कठिनाई महसूस होती है और कई बार मुंह टेढ़ा हो जाता है. अचानक से चक्कर आना और बेहोशी जैसी कंडीशन भी स्ट्रोक का लक्षण हो सकता है. कुछ मामलों में तेज सिरदर्द और उल्टी की समस्या भी हो सकती है. इलाज की बात करें, तो ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद मरीज को तुरंत हॉस्पिटल पहुंचा दिया जाए और उसका इलाज 4-5 घंटों के अंदर शुरू हो जाए, तो स्ट्रोक को रिवर्स किया जा सकता है.

सही समय पर इलाज न मिलने से लोगों की मौत हो सकती है या उनके शरीर का कुछ हिस्सा पैरालाइज हो सकता है. आज के जमाने में इंटरवेंशनल न्यूरोसर्जरी जैसी तकनीक आ गई हैं, जिनकी मदद से स्ट्रोक के मरीजों का बेहतर ढंग से इलाज किया जा सकता है और उनकी लाइफ की क्वालिटी को बेहतर बनाया जा सकता है. इंटरवेंशनल न्यूरोसर्जरी के जरिए बिना चीरा लगाए ब्लड वेसल्स के क्लॉट को हटा सकते हैं.

यह भी पढ़ें- क्या ड्राई फ्रूट्स खाने से बढ़ सकता है शुगर लेवल? डायबिटीज एक्सपर्ट से जान लें सच्चाई, गलती पड़ सकती है भारी

कैसे कर सकते हैं स्ट्रोक से बचाव?

डॉ. प्रशांत अग्रवाल के अनुसार स्ट्रोक से बचाव करने का सबसे बेहतर तरीका है कि आप अपना ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रखें. स्मोकिंग बंद कर दें और एल्कोहल का सेवन न करें. अगर आप हार्ट डिजीज के मरीज हैं, तो कार्डियोलॉजिस्ट से मिलकर प्रॉपर ट्रीटमेंट कराएं और किसी भी तरह की लापरवाही न करें. पोषक तत्वों से भरपूर हेल्दी डाइट लें और खुद को फिट रखने की कोशिश करें. समय-समय पर आप डॉक्टर से मिलकर हेल्थ चेकअप कराएं. आज के समय में कई ऐसे चेकअप हैं, जिनके जरिए आपके ब्रेन की ब्लड वेसल्स की सही स्थिति पता लगाई जा सकती है. इसके अलावा किसी भी स्ट्रोक के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर इलाज कराएं और इसमें बिल्कुल लापरवाही न करें.

Tags: Brain, Health, Lifestyle, Trending news

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *