बांका: अगर आप कम लागत में ज्यादा ऊपज लेने की सोच रहे हैं तो आपको अपने खेतों की मिट्टी का विशेष ध्यान रखना होगा. मिट्टी की सेहत की समय-समय पर जांच करानी होगी. कृषि विभाग के अंतर्गत रसायन विभाग में मिट्टी के सैंपल की जांच की जाती है. सैंपल की जांच के बाद पता चल जाएगा की मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी है, उसी आधार पर आप अपने खेतों में उर्वरक का प्रयोग कर सकेंगे. इससे खेती की लागत में कमी आएगी और खेतों की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी.
5 दिसंबर को मनाया जाता है विश्व मृदा दिवस
दरअसल, हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को जागरूक करना है. अगर किसान मिट्टी की जांच के बाद उस रिपोर्ट के आधार पर उर्वरक का प्रयोग करें तो उन्हें काफी लाभ होगा. लेकिन जागरूकता के अभाव में किसान परंपरागत तरीके से खेतों में उर्वरक का प्रयोग करते हैं. इससे मृदा की गुणवत्ता दिन प्रतिदिन घटती जा रही है.
किसान प्रत्येक तीन वर्ष में कराएं मृदा की जांच
बांका के किसानों को सुझाव देते हुए सहायक निर्देशक रसायन कृष्णकांत ने कहा कि हर तीन साल पर किसानों को अपने खेतों की मृदा की जांच करानी चाहिए. इससे किसानों को अपने खेतों में पोषक तत्व की कमी के बारे में जानकारी मिलेगी. मृदा के लिए फास्फोरस, नाइट्रोजन और पोटाश प्रमुख पोषक तत्व माना जाता है. इसकी किल्लत या अधिकता का असर सीधे फसल के उत्पादन पर पड़ता है. उन्होंने बताया कि इन तीन पोषक तत्वों के अलावा बोरान, निकेल,आयरन, मैग्नीज, जिंक और कॉपर जैसे तत्वों की मृदा में अधिक कमी हो तो इसके लिए भी अलग से पोषक तत्व डाला जा सकता है.
रसायन विभाग के सहायक निर्देशक ने बताया कि मृदा जांच कराने को लेकर किसानों को जागरूक किया जाता है. इसके लिए पंचायत स्तर पर चौपाल लगाकर भी किसानों को जानकारी दी जाती है. जिले में अब तक 7,800 किसानों के बीच मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया जा चुका है. आने वाले दिनों में और भी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : December 05, 2022, 14:14 IST