World Leprosy Day 2024: जानिए कब और क्यों मनाया जाता है विश्व कुष्ठ रोग दिवस

नई दिल्ली:

World Leprosy Day 2024: लेप्रोसी, एक संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्रोए के कारण होती है, जो शरीर के  इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में त्वचा पर दाग, घाव, और गांठें शामिल हैं. यह बीमारी मुख्यत  त्वचा, नसों, आंखों, नाक और कोमल उत्तको को प्रभावित होते है. इसका समय पर इलाज नहीं कराने से कई तरह की गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है. यह बीमारी व्यक्ति के नसों को प्रभावित कर उसे कमजोर बना सकता है. जब यह बीमारी बढ़ती है तो शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द का अनुभव होता है. हालांकि, विज्ञान और चिकित्सा में उन्नति के कारण, लेप्रोसी का इलाज आजकल संभव है. अगर समय रहते पहचाना जाए और उपचार किया जाए, तो इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है. लेप्रोसी को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने और समाज में फैली भ्रांतियां दूर करने के लिए हर साल 30 जनवरी को मनाया जाने वाला “विश्व लेप्रोसी दिवस” मनाया जाता है. यह उन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है जो लेप्रोसी और इसके लक्षणों के बारे में समाज को जागरूक करने और इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई में शामिल होना चाहते हैं, यह दिन दुनिया के कई देशों में विभिन्न उपायों और कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया जाता है.

विश्व लेप्रोसी दिवस का थीम
 हर साल विश्व लेप्रोसी दिवस का एक थीम होता है, इस साल इसका थीम ‘बीट लेप्रोसी’ है, इसका उद्देश्य, लेप्रोसी को लेकर समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करके जागरूकता फैलाना है. इस थीम को लेकर WHO (World Health Organization) का कहना है कि, यह विषय इस दिन के दोहरे उद्देश्यों को समाहित करता है: कुष्ठ रोग से जुड़े कलंक को मिटाना और रोग से प्रभावित लोगों की गरिमा को बढ़ावा देना है. भारत में यह हर साल 30 जनवरी यानि महात्मा गांधी के पुण्यतिथि को मनाया जाता है.

विश्व लेप्रोसी दिवस महत्व
इस दिवस के अवसर पर विभिन्न चिकित्सा संस्थानों और संगठनों द्वारा लेप्रोसी संबंधित शिविर, कैंप, और जागरूकता अभियान भी आयोजित किए जाते हैं. इन कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को मुफ्त जाँच और उपचार की सुविधा प्रदान की जाती है, जिससे लेप्रोसी के प्रति जागरूकता बढ़ती है और समाज में इसके खिलाफ विभिन्न संवेदनशीलता का माहौल उत्पन्न होता है.

इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लेप्रोसी के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना है और समाज को इस बीमारी के पीड़ितों के साथ साझा लड़ाई में शामिल करने के लिए प्रेरित करना है.

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