Women’s Reservation Bill: महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पास, जानें विपक्ष के नेताओं ने क्या कहा?

महिला आरक्षण बिल का कांग्रेस समेत विपक्ष के कई दलों ने स्वागत किया है. आइए जानते हैं कि विपक्ष के नेताओं ने इस बिल पर क्या कहा:-

कांग्रेस

महिला आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस ने श्रेय लेने की कोशिश की. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के बयान पर हंगामा हुआ. उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान बिल लाया गया था. यह बिल अभी मौजूद है. इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम नया बिल लाए हैं. आप जानकारी दुरुस्त कर लीजिए. 

राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा कि अब दलगत राजनीति से ऊपर उठें. हम महिला आरक्षण बिल पर बिना शर्त के समर्थन करेंगे.

राबड़ी देवी

बिहार की पूर्व सीएम और लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी ने कहा, “महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित, खेतिहर और मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हो. मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है. अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है. इसलिए इनका आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य है.”

आतिशी

आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने महिला आरक्षण बिल को बेवकूफ बिल बताया है. उन्होंने कहा, “ये महिला बेवकूफ बनाओ बिल है. क्योंकि 2024 के चुनाव में महिलाओं को आरक्षण नहीं मिलेगा. जनगणना होगी फिर परिसीमन होगा. सीधे समझें तो जल्द से जल्द भी महिला आरक्षण बिल लागू हुआ, तो 2027-28 से पहले नहीं होगा. 2024 के चुनाव से पहले देश की महिलाओं को बेवकूफ बनाने का काम किया जा रहा है. केंद्र सरकार अभी की 543 सीट में 33% आरक्षण क्यों नहीं दे सकती?

PM और BJP से मांग है कि बिल में संशोधन किया जाए और 2024 से ही एक तिहाई आरक्षण दें.”

अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए. इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए.”

बीएसपी सुप्रीमो मायावती

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने महिला आरक्षण बिल को लेकर बीजेपी का प्रेस नोट अपने X हैंडल पर शेयर किया है.

3 दशक से पेंडिंग था बिल

संसद में महिलाओं के आरक्षण का प्रस्ताव करीब 3 दशक से पेंडिंग था. यह मुद्दा पहली बार 1974 में महिलाओं की स्थिति का आकलन करने वाली समिति ने उठाया था. 2010 में मनमोहन सरकार ने राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण बिल को बहुमत से पारित करा लिया था. तब सपा और आरजेडी ने बिल का विरोध करते हुए तत्कालीन UPA सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दे दी थी. 

इसके बाद बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया गया. तभी से महिला आरक्षण बिल पेंडिंग है. अब मोदी सरकार ने लोकसभा में इसे पास करा लिया है. ये बिल चर्चा के लिए राज्यसभा में भेजा जाएगा. फिर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद ये बिल कानून बन जाएगा.

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