Women Reservation Bill: पाकिस्तान में महिलाओं को कितना आरक्षण और कितने अधिकार?

Women Reservation: केंद्र और राज्‍यों की सत्‍ता में महिलाओं की एक तिहाई भागीदारी सुनिश्चित करने वाला ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ लोकसभा से 454 मतों के साथ पारित होने के बाद से देश में जश्‍न का माहौल है. इस बिल पर पक्ष-विपक्ष ने एकमत होकर वोटिंग की. हालांकि, दो सांसदों ने बिल के विरोध में वोट डाले. इस बिल के पास होने के बाद लोकसभा में सीटों की मौजूदा संख्‍या के आधार पर कम से कम 181 महिला सांसदों की उपस्थिति सुनिश्चित हो गई है. हालांकि, अभी ये तय नहीं है कि ये लोकसभा चुनाव 2024 में लागू हो पाएगा या नहीं. भारत में महिला आरक्षण बिल पारित होने के जश्‍न के बीच जानते हैं कि हमारे पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश की संसदों में महिला आरक्षण की क्‍या स्थिति है?

फ्रांस और साउथ कोरिया समेत दुनिया के कई देशों की संसद में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण की व्‍यवस्‍था है. नेपाल और अर्जेंटीना ने 1990 के दशक में ही इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए थे. तमाम प्रयासों के चलते अर्जेंटीना, मैक्सिको और कोस्टा रिका की संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 36 फीसदी से ज्‍यादा है. अमेरिका और ब्रिटेन में महिला आरक्षण नहीं है. फिर भी अमेरिका की सत्‍ता में 29 फीसदी और ब्रिटेन की संसद में 35 फीसदी महिला प्रतिनिधि हैं. दुनियाभर के एक तिहाई देशों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व एक तिहाई है. न्यूजीलैंड और यूएई में 50 फीसदी महिलाएं सत्‍ता में भागीदार हैं. इस मामले में 61 फीसदीइ महिला प्रतिनिधियों के साथ रवांडा सबसे ऊपर है.

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पाकिस्तान में कितना है महिलाओं का प्रतिनिधित्‍व?
पाकिस्तान में सरकारों ने सत्‍ता में महिलाओं की भागदारी सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर कदम उठाए हैं. पाकिस्‍तान ने 1956 में ही नेशनल असेंबली में महिलाओं के लिए 10 सीटें आरक्षित कर दी थीं. इनमें 5 सीटें पूर्वी पाकिस्‍तान (मौजूदा बांग्‍लादेश) और 5 सीटें पश्चिमी पाकिस्‍तान के लिए रिजर्व की गई थीं. साल 1962 में पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में महिलाओं का प्रतिनिध्त्वि घटा और उनके लिए सिर्फ छह सीटें आरक्षित की गईं. हालांकि, बाद के वर्षों में पाकिस्‍तान में महिला आरक्षण में बढ़ोतरी की गई. साल 1971 में पूर्वी पाकिस्‍तान के बांग्‍लादेा बनने के बाद 1973 में पाकिस्‍तान की नेशनल असेंबली में महिलाओं के लिए फिर से 10 सीटें आरक्षित की गईं.

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पाकिस्‍तान ने 1956 में ही नेशनल असेंबली में महिलाओं के लिए 10 सीटें आरक्षित कर दी थीं.

अभी महिलाओं के लिए रिजर्व रखी गई हैं 60 सीट
साल 1985 में नेशनल असेंबली में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्‍या बढ़ाकर 20 कर दी गई. जनरल परवेज मुशर्रफ की सरकार ने इसे बढ़ाकर 33 सीट कर दिया था. फिलहाल पाकिस्‍तान की 336 सदस्‍यीय नेशनल असेंबली में 60 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं. इसके अलावा 10 सीटें गैर-मुस्लिम यानी अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के लिए आरक्षित की गई हैं. हालांकि, पाकिस्‍तान का गैर-मुस्लिम समुदाय नेशनल असेंबली में अल्‍पसंख्‍यक समुदाय के लिए आरक्षित सीटों की संख्‍या बढ़ाने की लगातार मांग कर रहा है.

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बांग्लादेश में आजादी के समय से महिला आरक्षण
बांग्लादेश की 350 सीटों वाली संसद यानी जातीय संसद में इस समय 50 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं. बांग्लादेश ने पाकिस्‍तान से मुक्‍त होने के बाद 1972 में ही महिलाओं की सत्‍ता में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए 300 में 15 सीटें 10 साल के लिए आरक्षित कर दी थीं. बाद में जब जातीय संसद में सदस्‍यों की संख्‍या 330 हुई तो 30 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी गईं. अब महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्‍या 50 है. भारत के पड़ोसी देश नेपाल की इस मामले में स्थिति काफी अच्‍छी है. नेपाल में 2007 से महिलाओं की सत्‍ता में हिस्‍सेदारी सुनिश्चित करने के लिए 33 फीसदी से ज्‍यादा आरक्षण की व्‍यवस्‍था की गई है.

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पाकिस्‍तान में महिलाओं की हालात कैसे हैं?
पाकिस्तान की 2017 की जनगणना के मुताबिक, महिलाओं की आबादी कुल जनसंख्या की 48.76 फीसदी है. पाकिस्‍तान में महिलाओं को साल 1956 से ही चुनावों में मतदान करने की मंजूरी मिली हुई है. अब तक पाकिस्तान में महिलाएं प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत कई शीर्ष पदों पर रह चुकी हैं. विधानसभा, नेता विपक्ष, संघीय मंत्री, न्यायाधीश, और सशस्त्र बलों में कमीशन पदों पर भी महिलाएं रही हैं. लेफ्टिनेंट जनरल निगार जौहर सेना में सर्वोच्च पद पर पहुंची हैं. वहीं, बेनजीर भुट्टो ने 2 दिसंबर 1988 को पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. इस सबके बाद भी असमान सामाजिक-आर्थिक विकास और महिलाओं के जीवन पर आदिवासी व सामंती सामाजिक संरचनाओं के असर के कारण उनकी स्थिति अच्‍छी नहीं है.

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फिलहाल पाकिस्‍तान की 336 सदस्‍यीय नेशनल असेंबली में 60 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं.

पाकिस्‍तान में महिला सुरक्षा बेहद चिंताजनक
जेंडर कंसर्न्स इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, शिक्षित और साक्षर महिलाओं की बढ़ती संख्या के साथ पाकिस्तान में महिला अधिकारों में सुधार हुआ है. वहीं, पल्स कंसल्टेंट के एक सर्वेक्षण के मुताबिक, अब भी 35 फीसदी पाकिस्तानी मानते हैं कि देश में कोई भी महिला सुरक्षित नहीं है. वहीं, 43 फीसदी का मानना है कि महिलाएं कुछ हद तक ही सुरक्षित हैं. महज 20 फीसदी का मानना ​​है कि महिलाएं पाकिस्तान में सुरक्षित हैं. इससे साफ है कि पाकिस्‍तान में महिला सुरक्षा की हालत चिंतित करने वाली है. महिलाओं की शिक्षा के लिए सरकारी फंडिंग बेहद कम है. पिछड़े इलाकों में बलात्कार, ऑनर किलिंग, हत्या और जबरन विवाह के मामले भी सामने आते हैं. ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स पर पाकिस्तान की रैंकिंग 153 है.

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