WHO-loneliness a Global Threat: अकेलापन (Loneliness) (लोनलीनेस) मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या मानी जाती रही है, दुनिया की बड़ी आबादी इसकी शिकार है. हेल्थ एक्सपर्ट कहते है, लंबे समय तक अकेलापन न सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि इसके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर देखे जा सकते रहे हैं. दीर्घकालिक अकेलापन अवसाद, चिंता और आत्महत्या जैसी गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकती है. लोनलीनेस के कारण होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अकेलेपन को एक गंभीर ‘वैश्विक स्वास्थ्य खतरे’ के तौर पर बताया है.
भारत सहित कई देशों में इसका खतरा हाल के वर्षो में काफी देखा जा सकता है. असल में कोरोना महामारी के बाद लोनलीनेस के कारण होने वाली मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की समस्याओं में अब इजाफा देखा जा रहा है.
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डब्ल्यूएचओ- अकेलापन उतना ही खतरनाक जितना धूम्रपान WHO- Loneliness Is As Dangerous As Smoking:
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि लोनलीनेस हेल्थ के लिए उसी प्रकार से हानिकारक है, जैसे एक दिन में 15 सिगरेट पीना. सिगरेट को पीना सेहत के लिए हानिकारक माना जाता है लेकिन आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि अकेलापन इंसान के लिए सिगरेट से भी ज्यादा हानिकारक है. इसके दुष्प्रभाव मोटापा जैसी समस्याओं से भी अधिक हो सकते हैं.
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क्या भारतीय युवाओं में इसकी समस्या अधिक? Is This Loneliness Problem More Indian Youth?
मई 2022 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन में भारतीय युवाओं में बढ़ती लोनलीनेस की समस्या को लेकर चिंता जाहिर की गई थी. जिसमें ये देखा जा सकता है कि अकेलेपन की समस्या से शरीर को कई अन्य समस्याएं हो रही हैं.
कई हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि डब्ल्यूएचओ की ये पहल सराहनीय है. क्योंकि अकेलेपन की समस्या हृदय रोग, डिमेंशिया से लेकर स्ट्रोक, अवसाद, चिंता और समय से पहले मौत के जोखिम को बढ़ा सकती है. इसलिए समय पर इसकी देखरेख जरूरी है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)