What is UCC Bill: क्या है यूसीसी बिल, लागू होने के बाद उत्तराखंड में क्या बदलाव देखने को मिलेंगे?

नई दिल्ली:

What is Uttarakhand UCC: उत्तराखंड में आज यानी 6 जनवरी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विधानसभा में यूसीसी बिल (समान नागरिक संहिता से जुड़ा बिल) पेश किया. इस बिल को लेकर कई लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर ये बिल है क्या? इस बिल के कानून बनने के बाद उत्तराखंड में क्या बदलाव देखने को मिलेंगे? ऐसे कई लोगों का सवाल है, तो आज हम जानेंगे कि यह बिल क्या है और इसके लागू होने के बाद राज्य में क्या बदलाव होंगे और क्या नहीं. तो आइए विस्तार से जानते हैं.

क्या है यूसीसी? 

यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान नागरिक संहिता यानी राज्य में सभी धर्मों और समुदायों के लिए एक समान कानून बनाने की वकालत की गई है. सरल भाषा में इस कानून का मतलब है कि देश में सभी धर्मों और समुदायों के लिए एक ही कानून होगा. इस कानून के बनने के बाद उत्तराखंड में हर धर्म में शादी और तलाक के लिए एक जैसे नियम होंगे. जो कानून हिंदुओं पर लागू होंगे वही अन्य धर्मों के लोगों पर भी लागू होंगे. अब सवाल है कि इस कानून के आने के बाद प्रदेश में मेजर बदलाव क्या देखने को मिल सकता है? तो हम सबसे पहले बदलाव के बारे में जान लेते हैं.

उत्तराखंड में यूसीसी में शामिल

  • सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होगी
  • पुरुषों और महिलाओं के बीच तलाक का नियम एक समान होगा
  • लड़कियों को संपत्ति में समान का अधिकार होगा
  • विवाह का पंजीकरण जरूरी है, बिना पंजीकरण के कोई सुविधा नहीं मिलेगी
  • किसी महिला के लिए पुनर्विवाह की कोई शर्त नहीं होगा
  • लिव-इन रिलेशन में जन्मे बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार होगा
  • लिव-इन रजिस्ट्रेशन न कराने पर 6 माह की सजा होगी
  • लिव-इन रिलेशनशिप को डिक्लेयर करना होगा

UCC से क्या बदलेगा और क्या नहीं बदलेगा?

इसके साथ ही हर धर्म में शादी और तलाक के लिए एक ही कानून होगा, जो कानून हिंदुओं पर लागू होगा वही दूसरों के लिए भी होगा. बिना तलाक के एक से ज्यादा शादी नहीं कर सकेंगे. इसमें सबसे बड़ी बात है कि मुसलमानों को चार शादियां करने की इजाजत नहीं होगी. अब आइए जानते हैं कि इस कानून के आने के बाद क्या नहीं बदलेगा. किसी भी धार्मिक मान्यता पर कोई प्रतिबंध या मतभेद नहीं होगा. धार्मिक अनुष्ठानों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है. पहले की तरह ही शादी या निकाह पंडितों और मौलवियों द्वारा कराया जाएगा. खान-पान, पूजा-पाठ, पहनावे आदि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

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