VTR घूमने आने वालों की मौज, बाघ, तेंदुआ और लकड़बग्घे ही नहीं, चीतल भी बढ़ी

आशीष कुमार/पश्चिम चम्पारण. ‘बिहार का कश्मीर’ के नाम से फेमस पश्चिम चम्पारण जिले का वाल्मिकी टाइगर रिजर्व इन दिनों विभिन्न प्रकार के जीव-जंतुओं की बढ़ती जनसंख्या से गुलजार हो रहा है. बेहतर निगरानी, कड़ी सुरक्षा और पर्याप्त भोजन की व्यवस्था का सार्थक परिणाम ही है कि वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में बीते कुछ वर्षों में बाघों के साथ-साथ अन्य सभी जीव-जंतुओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है.

बीते 5 वर्षों में यहां गौर, तेंदुआ, चीतल, हिरण, मोर, सांभर, जंगली सुअर आदि जानवरों की संख्या कई गुना बढ़ चुकी है. प्राकृतिक जंगल होने की वजह से यहां वन्यजीवों की गिनती आधिकारिक रूप से तो नहीं की जा सकती है, लेकिन बाघों की गतिविधियों एवं गिनती के लिए लगाए गए कैमरों में कैद हुई तस्वीरों के आधार पर यहां जानवरों की अनुमानित संख्या को प्रकाशित किया जाता है.

35 प्रतिशत बढ़ी शाकाहारी जानवरों की संख्या
लगातार कैमरों में कैद हो रही तस्वीरों के अनुसार, वीटीआर में शाकाहारी पशुओं की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है. वन कर्मियों की मानें तो यहां चीतल की संख्या में 35 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है. अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, कुछ वर्ष पहले तक VTR में चीतल की संख्या करीब 15 हजार, सांभर 2 हजार, नीलगाय 7500, हिरण 1700, गौर 300 और जंगली सुअर की संख्या करीब 9 हजार थी. जबकि वर्तमान में सिर्फ गौर की संख्या बढ़कर 400 के पार जा चुकी है. गौरतलब है कि वर्ष 2016 में यहां गौर की संख्या महज 40 के आसपास थी.

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2400 वर्ष हेक्टेयर में है घास के मैदान का फैलाव
अधिकारियों की मानें तो वीटीआर में जानवरों की बढ़ती संख्या का सबसे मुख्य कारण बड़े भू-भाग पर फैले घास के मैदान हैं. वर्तमान में संपूर्ण वीटीआर में करीब 2400 वर्ग हेक्टेयर में घास में मैदान का फैलाव है. खास बात यह है कि आने वाले दिनों में इसे दोगुना करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है. साथ ही बाघों सहित अन्य वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए 53 शिकार रोधी कैंप भी बनाए गए हैं, जहां दिन-रात वन कर्मियों की विशेष तैनाती रहती है. गर्मी में वन्य प्राणियों को पानी की समस्या का सामना न करना पड़े, इसलिए 50 से ज्यादा वॉटर होल भी बनाए गए हैं. इनमें जरूरत पड़ने कर टैंकरों से पानी का भराव किया जाता है.

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