रामकुमार नायक/रायपुरः सनातन धर्म में मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है. चौमासा खत्म होने के बाद अब मांगलिक कार्यों की झड़ी लगने वाली है. देवउठनी एकादशी से शहनाईयां बजनी शुरू हो जाएगी. भगवान विष्णु इस बार चौमासा के बाद 23 नवंबर 2023 को जाग जाएंगे. इसके बाद से शादियों का शुभ मुहूर्त शुरू होगा. यह खरमास से पूर्व तक जारी रहेगा. हिंदू धर्म के अनुसार इस अवधि में शादी विवाह से लेकर शुभ कार्य फिर से बंद हो जाते हैं. ऐसे में विवाह मुहूर्त 23 नवंबर से लेकर 15 दिसंबर 2023 तक रहेंगे.
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला की मानें तो हिंदू धर्म में विवाह को शुभ और महत्वपूर्ण संस्कारों में माना गया है. यही वजह है कि इसके लिए विवाह कुंडली से लेकर तिथि, शुभ समय और मुहूर्त निकाला जाता है. इसी घड़ी में वर और कन्या का विवाह किया जाता है. माना जाता है कि इन सभी चीजों के मिलान के बाद ही विवाह करने वाले जोड़े को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. जोड़े का दांपत्य जीवन में सुख में कटता है.
क्यों मनाई जाती है देवउठनी एकादशी?
पंडित मनोज शुक्ला ने आगे बताया कि देवउठनी एकादशी के बाद सभी मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. विवाह, सगाई लग्न पूजा, गृह पूजा आदि है. चौमासा के चार महीने में इन समस्त कार्यों में विराम लगा हुआ था. जैसे ही देवउठनी एकादशी होती है उसमें भगवान विष्णु के रूप शालिग्राम का माता तुलसी के साथ विवाह होता है इसलिए बहुत से लोग इस दिन शादी कार्यक्रम रखते हैं.
नवंबर में कब-कब शुभ मुहूर्त
पंचांगकर्ताओं के अनुसार विवाह के लिए शुभ मुहूर्त रेखा और लगन तय किए गए हैं. इस बार नवंबर में 30, 31 और दिसंबर महीने के पहले और दूसरे सप्ताह में मुहूर्त हैं जिसमें 4, 7, 8 दिसंबर को बहुत अच्छा मुहूर्त बताया गया है. जैसे ही धनु राशि में सूर्य का प्रवेश होगा तो गुरु ग्रह के सूर्य में प्रवेश होने पर खरमास प्रारंभ हो जाता है जोकि मकर संक्रांति तक चलता है. मकर राशि में जैसे ही सूर्य प्रवेश करेगा फिर से विवाह का मुहूर्त प्रारंभ हो जाएगा, लेकिन खरमास में एक महीने तक विवाह कार्य नहीं किया जाता है. नवंबर में 3 और दिसंबर में 3 शुभ मुहूर्त जिसमें मांगलिक कार्य किया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : November 22, 2023, 18:26 IST