रिपोर्ट – निशा राठौड़
उदयपुर. कहते हैं कि इंसान अगर हौसला रखे, तो दुनिया उसके कदमों में झुकती है. वह अपने इरादों में कामयाब होता है. कुछ ऐसी ही कहानी है उदयपुर के भावेश देसाई की, जिन्हें आंखों से दिखाई नहीं देता लेकिन उनकी क्रिकेट कमेंट्री देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे. क्रिकेट ग्राउंड के बाहर बैठे भावेश, अपने से कई मीटर दूर बल्लेबाज की हर हरकत समझ लेते हैं. बैट और बॉल का कब संपर्क हुआ, उसे महसूस कर लेते हैं. इसलिए बल्ले से जैसे ही गेंद टकराती है, तो दर्शकों के समझने से पहले उन्हें अनुमान हो जाता है कि बॉल बाउंड्री के पार जाएगी या दो रन या तीन रन बनेंगे. क्रिकेट की बारीकियों की जानकारी देते हुए उनकी कमेंट्री का अंदाज आपको पसंद आएगा. वह बगैर कुछ देखे भी आंखों देखा हाल ऐसे बयां करते हैं, जैसे कि आप मैदान में बैठे हों.
भावेश देसाई ने बताया कि वे जन्म से ही नेत्रहीन हैं. लेकिन क्रिकेट खेलने का शौक बचपन से रहा है. इसलिए बड़ा होकर उन्होंने इस शौक को जुनून बनाया. आज वे राजस्थान की ब्लाइंड क्रिकेट टीम के सदस्य हैं. कई बार नेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं. भावेश को क्रिकेट कमेंट्री करने का शौक है. उन्हें लगा कि बॉल के हर इशारे को वह समझ जाते हैं, इसलिए उन्होंने क्रिकेट कमेंट्री शुरू की. आज की तारीख में भावेश सर्टिफाइड कमेंटेटर हैं. उन्होंने बताया कि वह मुंबई में भी 3 साल तक क्रिकेट टूर्नामेंट की कमेंट्री कर चुके हैं.
इंग्लिश के शिक्षक, RAS अफसर बनने की तमन्ना
भावेश देसाई ने बताया कि क्रिकेट उनका शौक है. इसलिए वह खेलते भी हैं और कमेंट्री भी करते हैं. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आने के कारण वे अपना शौक पूरा करने के साथ-साथ पढ़ाई भी करते हैं. जीविकोपार्जन के लिए नौकरी भी. वह इंग्लिश के शिक्षक हैं. सरकारी स्कूल में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. भावेश का कहना है कि वह RAS ऑफिसर बनकर समाज की सेवा करना चाहते हैं. इसके लिए तैयारी भी कर रहे हैं. इसके अलावा वह गाना भी गाते हैं. उन्होंने कई राजस्थानी भजनों को भी अपनी आवाज दी है.
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Tags: Local18, Udaipur news
FIRST PUBLISHED : January 31, 2024, 14:50 IST
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Video: क्रिकेट कमेंट्री का लाजवाब अंदाज रखते हैं भावेश, बगैर नजर के सुनाते हैं आंखों देखा हाल
रिपोर्ट – निशा राठौड़
उदयपुर. कहते हैं कि इंसान अगर हौसला रखे, तो दुनिया उसके कदमों में झुकती है. वह अपने इरादों में कामयाब होता है. कुछ ऐसी ही कहानी है उदयपुर के भावेश देसाई की, जिन्हें आंखों से दिखाई नहीं देता लेकिन उनकी क्रिकेट कमेंट्री देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे. क्रिकेट ग्राउंड के बाहर बैठे भावेश, अपने से कई मीटर दूर बल्लेबाज की हर हरकत समझ लेते हैं. बैट और बॉल का कब संपर्क हुआ, उसे महसूस कर लेते हैं. इसलिए बल्ले से जैसे ही गेंद टकराती है, तो दर्शकों के समझने से पहले उन्हें अनुमान हो जाता है कि बॉल बाउंड्री के पार जाएगी या दो रन या तीन रन बनेंगे. क्रिकेट की बारीकियों की जानकारी देते हुए उनकी कमेंट्री का अंदाज आपको पसंद आएगा. वह बगैर कुछ देखे भी आंखों देखा हाल ऐसे बयां करते हैं, जैसे कि आप मैदान में बैठे हों.
भावेश देसाई ने बताया कि वे जन्म से ही नेत्रहीन हैं. लेकिन क्रिकेट खेलने का शौक बचपन से रहा है. इसलिए बड़ा होकर उन्होंने इस शौक को जुनून बनाया. आज वे राजस्थान की ब्लाइंड क्रिकेट टीम के सदस्य हैं. कई बार नेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं. भावेश को क्रिकेट कमेंट्री करने का शौक है. उन्हें लगा कि बॉल के हर इशारे को वह समझ जाते हैं, इसलिए उन्होंने क्रिकेट कमेंट्री शुरू की. आज की तारीख में भावेश सर्टिफाइड कमेंटेटर हैं. उन्होंने बताया कि वह मुंबई में भी 3 साल तक क्रिकेट टूर्नामेंट की कमेंट्री कर चुके हैं.
इंग्लिश के शिक्षक, RAS अफसर बनने की तमन्ना
भावेश देसाई ने बताया कि क्रिकेट उनका शौक है. इसलिए वह खेलते भी हैं और कमेंट्री भी करते हैं. आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आने के कारण वे अपना शौक पूरा करने के साथ-साथ पढ़ाई भी करते हैं. जीविकोपार्जन के लिए नौकरी भी. वह इंग्लिश के शिक्षक हैं. सरकारी स्कूल में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. भावेश का कहना है कि वह RAS ऑफिसर बनकर समाज की सेवा करना चाहते हैं. इसके लिए तैयारी भी कर रहे हैं. इसके अलावा वह गाना भी गाते हैं. उन्होंने कई राजस्थानी भजनों को भी अपनी आवाज दी है.
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FIRST PUBLISHED : January 31, 2024, 14:50 IST
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