नई दिल्ली:
Uttarkashi Silkyara Tunnel Rescue Operation: उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में मजदूरों के फंसे होने का आज 17वां दिन है. टनल में फंसे मजदूरों को निलाकने की कोशिशें लगातार जारी है. अमेरिकी ऑगर मशीन के फेल होने के बाद अब रेस्क्यू टीमें रैट होल माइनिंग का सहारा ले रही है. इसी कड़ी में मंगलवार की सुबह-सुबह सुरंग से शुभ समाचार आया. रेस्क्यू टीमें रैट होल माइनिंग और सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग कर रही है. इससे उम्मीद जताई जा रही है कि मजदूरों को जल्द ही बाहर निकाल लिया जाएगा. रेस्क्यू टीमों ने मजदूरों के परिजनों को कपड़े और बैग तैयार रखने को कहा है. वहीं, मजदूरों को बाहर निकलने की जगी उम्मीद के बाद टनल के पास हलचल तेज हो गई है. टनल के पास बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है. इसके अलावा कई एंबुलेंस भी लगाई गई हैं. इससे मजदूरों को सीधे अस्पताल ले जाया जाएगा. आइए विस्तार से आपको टाइमलाइन के जरिए बताते हैं कैसे सुरंग में 41 मजदूर फंस गए.
12 नवंबर : एक तरफ देश दिवाली मनाने के लिए उत्साहित था. वहीं उत्तराखंड में एक बड़ी त्रासदी हुई. उत्तरकाशी में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग का हिस्सा गिरा इसमें काम कर रहे 41 मजदूर फंस गए. घटना के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो गया. राहत और बचाव टीम ने हादसे के अपडेट और सहायता के लिए हेल्पलाइन जारी कर दी. पहले दिन सुरंग में मलबा हटाने का काम तेजी से किया गया जिसके लिए पूरी रात रेस्क्यू चलाया गया
13 नवंबर : दूसरे दिन टनल में फंसे हुए लोगों से बात की गई और उन्हें बिस्कुट, चाय, पानी और ऑक्सीजन उपलब्ध कराया गया. इसी दिन मुख्यमंत्री ने घटनास्थल का दौरा किया. सीएम ने बचाव कार्य के लिए आवश्यक उपकरणों की जल्द आपूर्ति के लिए निर्देश दिए.
14 नवंबर : बचाव अभियान युद्ध स्तर पर जारी रहाय मलबे में 900 मिमी स्टील पाइप लगाने के लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन मंगाई गई. इन 900 मीटर के पाइप के जरिए सुरंग में फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने की योजना बनाई गई.
15 नवंबर: आयरन पाइप और ड्रिलिंग के लिए अमेरिका से आई ऑगर मशीन पहुंचने के बाद काम तेजी से शुरू हुआ. इसी दिन से ड्रिलिंग शुरू हुई
16 नवंबर : मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन में पांचवें दिन तेजी आई। दिन में केंद्रीय राज्यमंत्री वीके सिंह ने उत्तरकाशी के सिलक्यारा में साइट पर पहुंचकर निरीक्षण किया और रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में जानकारी ली.
17 नवंबर : 6वें दिन ड्रिलिंग का काम कर रही अमेरिकी ऑगर मशीन में तकनीकी खराबी आ गई. इसके चलते काम रुक गया. वहीं, अधिकारियों ने मशीन चलने से हो रहे कंपन के कारण सतह का संतुलन बिगड़ने की जानकारी दी.
18 नवंबर : सातवें दिन सुरंग में कंपन और मलबा गिरने के खतरे पर ऑगर मशीन से ड्रिलिंग बंद कर दी गई. दो दिन तक ऑगर मशीन से ड्रिलिंग की गई.
19 नवंबर : घटना के आठवें दिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने चार मोर्चों पर रेस्क्यू अभियान चलाने का निर्णय लिया. इसके तहत सुरंग में करीब 60 मीटर का रास्ता बनाया जाने की योजना बनाई गई.
20 नवंबर : नौवें दिन मजदूरों की स्थिति देखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था, पर अंदर धूल होने से तस्वीरें साफ नहीं आ पाईं थीं. देर शाम टीम ने छह इंच का दूसरा फूड पाइप मजदूरों तक पहुंचा गया. इसी पाइप से उन्हें खाने के लिए खिचड़ी और खाना भेजा गया.
– रैट माइनर की टीम ने 60 मीटर की टनल में 50 मीटर से ज्यादा तक की खुदाई कर ली है. 52 मीटर तक पाइप डाले जा चुके हैं. मजदूरों की टीम रैट होल खनन तकनीक के जरिए हाथ से मलबा हटा रही है. इसी के माध्यम से 800 मिमी व्यास वाले पाइप डाले जा रहे हैं.
–मजदूर सुरंग में करीब 60 मीटर की दूरी पर फंसे हुए हैं. अमेरिका से मंगवाई गई ऑगर मशीन 48 मीटर तक ड्रिलिंग की थी. इसके बाद मशीन सुरंग में फंस गई. जब मशीन फंस गई तो उसे काटकर निकाली गई. फिर रेस्क्यू टीमें रैट माइनर्स ने मैन्युअल खुदाई शुरू की. सोमवार से अब तक चार-पांच मीटर तक खुदाई की जा चुकी है.
-उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग चारधाम यात्रा के लिए ‘ऑल वेदर सड़क’ यानी हर मौसम में यातायात के लिए खुली रहने वाली सड़क परियोजना है. यह केंद्र सरकार की पायलट प्रोजेक्ट योजना है. यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही यह सुरंग 4.5 किलोमीटर लंबी है. 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया. इसमें काम कर रहे 41 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंस गए.