उत्तरकाशी के सिल्क्यारा में एक निर्माणाधीन सुरंग में 40 श्रमिक फंसे हुए हैं जिन्हें बचाने के लिए प्रयास जोर शोर से किया जा रहे हैं। सुरंग धसने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन बीते 8 दिनों से लगातार जारी है। श्रमिकों को बचाने के लिए पहाड़ी के ऊपर से एक वर्टिकल होल बनाया जा रहा है। इस हॉल को बनाने के लिए ड्रिलिंग की जा रही है।
इस घटना के बाद लगातार प्रधानमंत्री कार्यालय की भी मजदूरों की रिस्क पर नजर बनी हुई है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री कार्यालय ने अब विभिन्न एजेंसियों के जरिए चार मोर्चे पर एक साथ बचाव अभियान चलाने का फैसला किया है। पहले मोर्चे पर जिम्मेदारी एसजेवीएनएल ने उठा रखी है जो सुरंग के ऊपर 120 मीटर की 1 मीटर वर्टिकल सुरंग के लिए खुदाई कर रहा है।
इसके अलावा नवयुग इंजीनियरिंग को 60 मीटर लंबी सुरंग की खुदाई करने की जिम्मेदारी सौंप गई है। तीसरी टीम टीएचडीसी की है जो विपरीत दिशा से लगभग 400 मीटर की सुरंग की खुदाई करेगी। इसके अलावा चौथा मोर की पर ओएनजीसी नीचे से होरिजेंटल तरीके से सुरंग को खोदने का काम करने में जुटी हुई है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजमार्ग और संरचना विकास निगम लिमिटेड, तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम, सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड, टीएचडीसी, आरवीएनएल को मिलाकर खुदाई की जिम्मेदारी दी गई है।
बचाव कार्य में बचाव कार्य में बीआरओ और भारतीय सेना भी जुटी हुई है। इस घटना को लेकर केंद्र सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटनास्थल का निरीक्षण भी किया है। गडकरी ने मीडिया को निरीक्षण के बाद बताया कि जल्द ही इस रेस्क्यू ऑपरेशन में सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसको लेकर चिंतित है। राज्य सरकार लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में मदद मुहैया करा रही है।
अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग तक वैकल्पिक रास्ता रविवार दोपहर बाद तक तैयार कर दिया जाएगा और बीते शुक्रवार से रूका हुआ बचाव अभियान दोबारा शुरू हो जाएगा। प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार और वर्तमान में उत्तराखंड सरकार में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) भास्कर खुल्बे ने सिल्क्यारा में कहा कि ठोस प्रयासों से चार-पांच दिन में अच्छे नतीजे आएंगे।
उन्होंने कहा, लेकिन अगर भगवान की कृपा रही तो यह उससे पहले भी हो सकता है। प्रधान मंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारियों और साइट पर विशेषज्ञों की एक टीम ने 41 लोगों को बचाने के लिए पांच योजनाओं पर एक साथ काम करने का फैसला किया है। बीआरओ के कमांडिंग ऑफिसर मेजर नमन नरूला ने संवाददाताओं को बताया, हम सुरंग के उपर से वर्टिकल पैदल रास्ता बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सुरंग के उपर एक ऐसा बिंदु चिन्हित किया गया है जहां से जल्द ड्रिलिंग शुरू की जाएगी। यह पैदल रास्ता एक हजार से 1100 मीटर लंबा है। इसके साथ ही हम यह जानने के लिए भी सर्वेंक्षण कर रहे हैं कि इसमें कितना समय लगेगा। हमारे अनुमान के अनुसार, यह पैदल रास्ता कल (रविवार) अपराह्न तक तैयार हो जाएगा।
मौके पर मौजूद अधिकारियों ने बताया कि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सुरंग के ढहे हिस्से के मलबे को भेदने के लिए इंदौर से उच्च भेदन क्षमता वाली शक्तिशाली ऑगर मशीन मौके पर पहुंच गयी है और इसके हिस्सों को जोड़ा जा रहा है जिससे उसे स्थापित कर दोबारा ड्रिलिंग शुरू की जाए। उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिलक्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम आलवेदर सड़क परियोजना का हिस्सा है। इस सुरंग का निर्माण राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड कर रही है। पिछले रविवार की सुबह छह बजे सुरंग ढही थी और तब से एक सप्ताह गुजर चुका है और इसके साथ ही बाहर खड़े श्रमिकों के परिजनों का धैर्य भी खोने लगा है। जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है श्रमिकों के परिजनों में निराशा बढ़ती जा रही है।
मलबे को भेद उसमें स्टील पाइप डालकर एस्केप पैसेज बनाए जाने के लिए लाई गयी शक्तिशाली अमेरिकी आगर मशीन में कुछ खराबी आने के कारण शुक्रवार दोपहर से रुके बचाव अभियान के मद्देनजर परिजनों की बेचैनी बढ़ने लगी है। शुक्रवार दोपहर को बचाव अभियान के रुकने से पहले तक ऑगर मशीन से मलबे में 22 मीटर तक ड्रिलिंग कर छह मीटर लंबे चार पाइप डाल दिए गए थे जबकि पांचवां पाइप डाला जा रहा था।