नयी दिल्ली। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के अभियान में बचाव दल का नेतृत्व करने वाले वकील हसन ने कहा कि उनका अनुभव शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण और भावनात्मक रूप से मुश्किल भरा था।
बचाव अभियान के अपने अनुभव को साझा करते हुए हसन ने पीटीआई- को बताया कि उन्होंने दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के 12 मजदूरों को इकट्ठा किया तथा उन्हें बारी-बारी से चार से पांच घंटे काम काम करने का निर्देश दिया गया।
उन्होंने कहा कि दल को एक मिनट का भी विराम लिए बिना चौबीसों घंटे काम करने का निर्देश दिया गया था।
हसन ने कहा, हम भी डरे हुए थे कि अगर अभियान के दौरान हमारे ऊपर मिट्टी ढह गई तो हम भी नहीं बचेंगे।
सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के कारण 41 मजदूर इसके भीतर ही फंस गए थे, जिन्हें 17 दिन बाद मंगलवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
मलबे को साफ करने में अमेरिकी ऑगर मशीन के विफल रहने के बाद रैट होल माइनिंग विशेषज्ञों के 12 सदस्यीय दल को खुदाई के लिए बुलाया गया था।
हसन ने कहा, हमने सुना कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 50 हजार रुपये का इनाम देंगे। हमें प्रधानमंत्री की ओर से अब तक ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है लेकिन हमारी ओर से, हम उनसे मिलना चाहेंगे।
अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बचाव अभियान में हिस्सा लेने वाले दिल्ली के रैट होल माइनिंग विशेषज्ञों से मुलाकात की।
उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ दिल्ली जल बोर्ड के लिए सीवर लाइन और पाइपलाइन डालने का काम करते हैं।
बचाव अभियान में शामिल एक अन्य रैट होल माइनिंग विशेषज्ञ मुन्ना कुरैशी ने पीटीआई- से कहा, बचाव अभियान के लिए हमें उत्तराखंड बुलाया गया और हमें खुशी है कि हमने काम को पूरा किया। यह देश के प्रति मेरी सेवा भावना है और मुझे इस काम में बिलकुल भी डर नहीं लगा।
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