Uttarkashi Tunnel: मजदूरों की सलामती के लिए कुमार विश्वास ने धारी देवी मंदिर में की विशेष पूजा

कमल पिमोली/ श्रीनगर गढ़वाल. प्रसिद्व कवि कुमार विश्वास (Kumar Vishwas) इन दिनों उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में हैं. सोमवार देर शाम वह श्रीनगर पहुंचे. कुमार विश्वास बैकुंठ चतुर्दशी मेले में आयोजित स्टार नाइट में शिरकत करेंगे. कार्यक्रम में हिस्सा लेने से पूर्व वह सिद्धपीठ धारी देवी मंदिर (Dhari Devi Temple) पहुंचे. यहां उन्होंने उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल (Uttarkashi Tunnel Collapse) में फंसे मजदूरों की सलामती के लिए विशेष पूजा-अर्चना की. साथ ही श्रीनगर शहर की खूबसूरती के भी दीदार किए.

हिंदी जगत के जाने-माने कवि कुमार विश्वास के धारी देवी मंदिर पहुंचने की सूचना जैसे ही स्थानीय लोगों को मिली, बड़ी संख्या में स्थानीय लोग यहां पहुंचे. इस दौरान उनके कई प्रशंसक उनके साथ तस्वीरें खिंचवाते हुए भी नजर आए. चारों धाम की रक्षक मानी जाने वाली धारी देवी के दर्शन करने पहुंचे कुमार विश्वास ने बताया कि वह प्रातःकाल ही धारी देवी के दर्शन करने के लिए यहां पहुंच गए थे. देवभूमि में मां धारी देवी की विशेष महत्ता है. समस्त तीर्थों के रक्षा सूत्र को धारण करने वाली देवी उन्हें माना जाता है. यहां माता के मंदिर में पहुंचकर उन्होंने पूजा-अर्चना की.

सिलक्यारा टनल में फंसे लोगों के लिए अनुष्ठान

इसके साथ ही कुमार विश्वास ने उत्तरकाशी में सुरंग के अंदर बीते 17 दिनों से फंसे मजदूरों की सुरक्षा और उनकी सकुशल वापसी को लेकर भी पूजा-अर्चना की. उन्होंने बताया कि उनके साथ गए अन्य कवियों ने भी धारी देवी मंदिर में मजदूरों की सकुशल घर वापसी के लिए विशेष अनुष्ठानकिया.

हिमालय के प्रति संवेदनशील होना जरूरी

कुमार विश्वास ने कहा कि 2013 की आपदा के दौरान वह उत्तराखंड में थे. यहां उन्होंने डॉक्टरों की टीम के साथ 20 दिन बिताए थे. हिमालय को लेकर जो संवेदनशीलता होनी चाहिए, वह दिखाई नहीं दे रही है. पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता कम दिख रही है. यही कारण है कि इस तरह के हादसे हिमालयी क्षेत्रों में हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि सिल्क्यारा टनल में फंसे लोगों के बचाव में देरी हुई है, लेकिन यह शिकायत का समय नहीं है बल्कि प्रार्थना का समय है. वह आशा करते हैं कि जो हम जैसे लोगों का मार्ग तीर्थ स्थानों तक पहुंचने के लिए बनाते हैं, उनका मार्ग अगर अवरुद्ध होता है, तो सभी को प्रार्थना करनी चाहिए.

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