
मोबाइल पर बेटे मंजीत का फोटो देखती मां
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लखीमपुर के भैरमपुर गांव निवासी मंजीत के परिवार के लिए मंगलवार का दिन काफी खुशी भरा रहा। मंजीत के सुरंग से बाहर आने की सूचना मिलते ही मां चौधराइन की आंखें खुशी के आंसुओं से भर आईं। मंजीत के घर दिवाली जैसा माहौल हो गया। लोगों ने आतिशबाजी की। बहनों ने मिठाइयां बांटी।
मंजीत की मां चौधराइन ने बताया कि मंगलवार की सुबह दस बजे फोन आया था तो मंजीत कह रहा था मम्मी, नई जिंदगी मिली है। आज सभी लोग बाहर आ जाएंगे। यह सुनकर इतनी खुशी हुई कि मन झूम उठा और आंसू निकल आए। बोलीं- सुबह नींद खुलते ही मंजीत की यादों में खो जाती थी।
बताया कि डेढ़ साल पहले बड़े बेटे दीपू की मुंबई में मौत हो गई थी। अब मंजीत का ही सहारा है। उसके भी सुरंग में फंस जाने से उम्मीदें खत्म होती नजर आ रहीं थीं। बेटियों के विवाह, परिवार के भरण पोषण की चिंता के साथ बेटे की सलामती की दिन रात चिंता सताए थी। खैर, भगवान ने अब सारी परेशानी दूर कर दी है।
17 दिन से मध्याह्न भोजन बनाने स्कूल नहीं गईं मंजीत का मां
मंजीत की मां एक स्कूल में रसोइए का काम करती हैं। वह बताती हैं की 17 दिन से वह गांव के स्कूल में खाना बनाने नहीं जा पाई हैं। हालात को देखते हुए इसको लेकर न तो ग्राम प्रधान रमेश यादव और ना ही स्कूल के शिक्षकों ने कोई आपत्ति जताई, बल्कि हमारी हौसला आफजाई की और पूरी मदद की है।
मनौती पूरी हुई, अब करूंगी भंडारा
मंजीत की मां चौधराइन ने कहा कि देवी मां ने उनकी विनती सुन ली है। इसलिए बरमबाबा पर काली मैया के स्थान पर जाकर भंडारा कराऊंगी। हालांकि उनके घर में बीते दिनों से आर्थिक संकट है फिर भी बेटे की खुशी में सब कुछ करना चाहती हूं। कहती हैं भले ही इसके लिए कर्ज ही क्यों न लेना पड़े, लेकिन भंडारा जरूर करूंगी।