उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर आज एक कदम और आगे बढ़ा दिया जब यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित समिति ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मसौदे के दस्तावेज सौंप दिए। हम आपको बता दें कि यूसीसी पर विधेयक पारित कराने के लिए पांच फरवरी से उत्तराखंड विधानसभा का चार दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है। विधानसभा में विधेयक के रूप में पेश करने से पहले मसौदे पर राज्य मंत्रिमंडल में भी चर्चा की जाएगी।
इस मौके पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान उनकी पार्टी ने जनता से वादा किया था कि नयी सरकार का गठन होते ही सबसे पहले यूसीसी लागू किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने वादे के अनुरूप सरकार बनते ही उस दिशा में कदम बढ़ाया और यूसीसी का मसौदा बनाने के लिए पांच सदस्यीय समिति गठित की। उन्होंने बताया कि इस समिति ने दो उपसमितियां भी बनायीं एक- इसका प्रारूप तैयार करने के लिए और दूसरी जनसंवाद कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए। धामी ने कहा कि मसौदा तैयार करने के लिए समिति ने 72 बैठकें कीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी पहली बैठक प्रदेश के उस दूरस्थ क्षेत्र चमोली जिले के सीमांत माणा गांव में हुई जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले गांव की संज्ञा दी है। धामी ने कहा कि वहां समिति का जनजाति समूह के लोगों के साथ संवाद हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूसीसी देश का ऐसा पहला कार्यक्रम है जिसमें प्रदेश के करीब 10 प्रतिशत परिवारों की राय ली गयी और उनके विचारों को संकलित किया गया। धामी ने कहा, ‘‘लोगों की राय जानने के लिए एक वेब पोर्टल भी बनाया गया । पोर्टल में 2.33 लाख लोगों ने अपने विचार दिए और इस प्रकार प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों के विचार इसमें सम्मिलित हुए।’’ मुख्यमंत्री ने समिति का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उसके सदस्यों ने बहुत परिश्रम किया और विभिन्न स्थानों पर जाकर लोगों के विचार संकलित किए। धामी ने जनता का भी आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार किसी राजनीतिक दल को लगातार दूसरी बार अपनी सेवा का मौका दिया। धामी ने कहा कि यूसीसी को कानून बनाने के संबंध में जल्द औपचारिकताएं पूरी कर दी जाएंगी। उन्होंने कहा, ‘‘मसौदे का विधिक परीक्षण और अध्ययन किया जाएगा, फिर इस पर चर्चा की जाएगी। विशेष रूप से बुलाए गए विधानसभा के इस सत्र में इसे (यूसीसी का मसौदा) रखेंगे और कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।’’
हम आपको बता दें कि यूसीसी पर विधेयक लाना 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा द्वारा जनता से किए गए प्रमुख वादों में से एक था। मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी गयी थी। यूसीसी राज्य में सभी नागरिकों को उनके धर्म से परे एकसमान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा। अगर यह लागू होता है तो उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है।
उत्तराखंड के UCC ड्राफ्ट पर नजर डालें तो इसमें कुछ बातें स्पष्ट तौर पर उभर कर आती हैं जैसे-
1- लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि वे विवाह से पहले ग्रेजुएट हो सकें।
2- विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। ग्राम स्तर पर भी शादी के रजिस्ट्रेशन की सुविधा होगी।
3- पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। फिलहाल पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग अलग ग्राउंड हैं।
4- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी।
5- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से अधिक है।
6- नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
7- मेंटेनेंस- अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।
8- एडॉप्शन- सभी को मिलेगा Adoption का अधिकार। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार, गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
9- हलाला और इद्दत पर रोक होगी।
10- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा जिसका एक वैधानिक फॉर्मैट होगा।
11- गार्जियनशिप- बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
12- पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।
13- जनसंख्या नियंत्रण को अभी सम्मिलित नहीं किया गया है।
हम आपको बता दें कि देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम में पांच सदस्यीय समिति की अध्यक्ष और उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने यूसीसी का मसौदा मुख्यमंत्री धामी को सौंपा। इस दौरान न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई (सेवानिवृत्त) के अलावा न्यायाधीश प्रमोद कोहली (सेवानिवृत्त), सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की उप कुलपति सुरेखा डंगवाल भी मौजूद रहीं। प्रदेश की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी कार्यक्रम में उपस्थित थीं।