उत्तराखंड ने राज्य में समान नागरिक संहिता विधेयक पारित करके एक ऐतिहासिक गलती की, जिससे अन्य राज्यों के लिए अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों को वंचित करने का रास्ता खुल गया है।
यह बात शनिवार को द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के मुखपत्र मुरासोली में कही गई।
मुरासोली के संपादकीय में उत्तराखंड ने की पहली गलती शीर्षक वाले लेख में कहा गया है कि इसके कार्यान्वयन से धीरे-धीरे शोषितों को प्रदान किए गए विशेष कानून खारिज हो जाएंगे और आरक्षण नीति अस्थिर हो जाएगी।
इसमें कहा गया है कि बुधवार को विधानसभा में पारित समान नागरिक संहिता विधेयक, विवाह, तलाक, संपत्ति की विरासत आदि के लिए एकसमान कानून प्रस्तुत करता है और यह भारत की विविधता वाली प्रकृति के खिलाफ है जो कई भाषाओं, नस्लों, धर्मों, संस्कृतियों और परंपराओं से संपन्न है।
इसमें केंद्र की भाजपा सरकार पर राजनीतिक लाभ के लिए अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया गया है।
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