US Shooting: उस बच्चे ने बंदूक निकाली और मासूमों के सीने को कर दिया छलनी, अब उसके मां-बाप भुगतेंगे सजा

Michigan school shootout Oxford High School firing: अमेरिका में गन कल्चर रोकने की दिशा में कोर्ट ने एक अहम फैसला लिया है. 2021 में ऑक्सफोर्ड हाई स्कूल में हुई फायरिंग के मामले में अदालत ने शूटर के साथ उसके माता-पिता को भी दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये एक तरह का आतंकवाद है. इसलिए पुलिस द्वारा लगाई गई धाराओं के मुताबिक दोषी पैरेंट्स बिना पैरोल के आखिरी सांस तक जेल में रहेंगे.

फैसला सुनकर इमोशनल हुए पीड़ित परिजन

ऑक्सफोर्ड हाई स्कूल फायरिंग केस में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आतंकवाद, 4 मर्डर और घातक हिंसा से संबंधित कुल 24 मामलों में केस दर्ज किया था. हर मामले में कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार दिया. जिसके बाद हत्यारे क्रुम्बली को पैरोल मिलने यानी उसके बाहर खुली हवा में सांस लेने का आखिरी रास्ता बंद हो गया है. अपने साथियों की हत्या करने वाला स्टूडेंट क्रुम्बली, फायरिंग के समय 15 साल का था. इस मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष का फोकस पूर्व नियोजित साजिश यानी प्री प्लान्ड मर्डर और आतंकवाद के कारण हुई मौतों पर था.

कोर्ट का फैसला सुनकर पीड़ित परिजन इमोशनल हो गए. हाना सेंट जूलियाना के पिता स्टीव सेंट जूलियाना ने कहा, ‘हमारे बच्चे सामूहिक हत्याओं का शिकार हो रहे हैं. शायद ही कोई दिन ऐसा हो जब कहीं से फायरिंग की खबर न आती हो. बच्चे डेली बेसिस पर मर रहे हैं. हम इस बारे में बहुत कम चर्चा करते हैं. किसी के साथ भी ऐसा नहीं होना चाहिए.’

कोर्ट की वो टिप्पणी जो बनी नजीर

सजा सुनाते समय, जस्टिस क्वामे रोवे ने स्कूल में हुई फायरिंग के लिए की गई प्लानिंग के आरोपों से इत्तेफाक रखके हुए कहा कि उस हत्याकांड के दौरान क्रुम्बली किसी भी समय अपना मन बदल सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया.

जस्टिस रोवे ने सहपाठियों पर हमले को फांसी देने जैसी यातना बताते हुए कहा, ‘वो बेखौफ होकर गन लिए स्कूल में घूमता रहा और चुनता रहा कि कौन-कौन मरने वाला है. इसलिए वारदात के समय नाबालिग होने के बावजूद क्रम्बली को बिना पैरोल उम्रकैद की सजा सुनाना एकदम सही फैसला है.’

वकील का बयान

फैसला आने के बाद सरकारी वकील ने कहा, ‘स्कूल में हुई फायरिंग के शूटर के पिता को दोषी ठहराया जाना एक जवाबदेही का क्षण है. उम्मीद है कि गन कल्चर से हो रही हिंसा को समाप्त करने में इससे मदद मिलेगी. लोग अपनी गन सरेंडर करेंगे. यह फैसला मारे गए बच्चों को वापस नहीं ला सकता, लेकिन यह जवाबदेही के एक क्षण को दिखाता है.’

आपको बता दें कि स्कूल में हुई फायरिंग में जस्टिन शिलिंग, हाना सेंट जुलियाना, टेट मायरे और मैडिसिन बाल्डविन की मौत हो गई थी.

अमेरिकी गन कल्चर ने ली लाखों की जान

अमेरिका में मास शूटिंग के मामले अक्सर सामने आते हैं. अमेरिकी कोर्ट ऐसी घटनाओं को आतंकवाद मानने लगी है. हजारों बेगुनाह स्कूली बच्चे असमय मौत का शिकार बन गए. मास शूटिंग को रोकने के लिए रिपब्लिकन की सरकार हो या डेमोक्रेट्स की कुछ खास कदम नहीं उठा पाई है.

अमेरिका में गन खरीदना ब्रेड मक्खन के पैकेट खरीदने जैसा आसान है. हथियार खरीदने के नियम एकदम लचीले हैं. गन बेचने वाले खरीददार की उम्र नहीं बल्कि उसकी जेब में पैसा देखते हैं. ऐसे में हिंसक प्रवृत्ति वाले लोगों से सामूहिक हत्याकांड जैसे अपराध हो जाते हैं.

आए दिन ऐसी खौफनाक वारदातों की बरसी मनाई जाती हैं. बड़े-बड़े कदम उठाने के दावे किए जाते हैं, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात यानी सिफर रहता है. क्योंकि अमेरिका में गन यानी हथियार बेचने वाली लॉबी इतनी स्ट्रांग है कि उन्हें रोक पाना असंभव तो नहीं लेकिन मुश्किल लगता है. 

दुनिया के वो फैसले जिन्हें जानना जरूरी

आपको बताते चलें कि गन कल्चर नाम की बीमारी से दुनिया के कई देश परेशान हैं. ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और यूरोप में भी ऐसे मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. अपराध की प्रवत्ति और मकसद के साथ साथ उन्हें अंजाम देने का तरीका अलग हो सकता है, लेकिन दुनिया का कोई भी देश इस परेशानी से अछूता नहीं है. न्यूजीलैंड में हुई ऐसी ही एक फायरिंग के बाद सरकार ने गन सरेंडर कराने के लिए कई स्कीम चलाई थीं. लोगों ने उस फैसले का स्वागत किया था. लेकिन उस मुहिम का फाइनल नतीजा क्या रहा उसके बारे में बोलने के लिए कोई तैयार नहीं है.

ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिकी कोर्ट का ये फैसला कि दोषी बच्चों के साथ उनके मां-बाप को भी उम्र कैद की सजा भुगतनी होगी. इसे एक सकारात्मक पहल माना जा रहा है कि क्योंकि जितने पैरेंट्स अपनी गन को सरेंडर करेंगे, उनके बच्चों के ऊपर से भी बड़ा खतरा टल जाएगा.

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