बसंता का झुंड
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ताजनगरी आगरा में चंबल सेंक्चुअरी की बाह रेंज कापर स्मिथ बारबेट की मौजूदगी से होली से पहले रंगीन दिखने लगी है। मेगालैमिडे (साइलोपोगोन) परिवार से ताल्लुक रखने वाली रंग-बिरंगी छोटी चिड़िया का स्थानीय नाम बसंता है। विविध रंगों की वजह से यह नाम लोग पुकारते हैं।
बसंता का प्रजनन सीजन मार्च से अक्तूबर के बीच में होता है। प्रजनन सीजन में कुट-कुट-कुट, कुटर-कुटर-कुटर जैसी आवाज चंबल क्षेत्र के ग्रामीणों का ध्यान अपनी ओर खींचने लगी है। बाह के रेंजर उदय प्रताप सिंह ने बताया कि पेड़ के तने में चोंच से बारबेट अपना घोंसला बनाती है तो इस तरह की आवाज सुनाई देती है।
इसका वैज्ञानिक नाम साइलोपोगोन हेमासेफालस है। अपने देश के अलावा नेपाल, चीन, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, इंडोनेशिया में पाई जाने वाली इस चिड़िया की लंबाई 15 से 30 सेमी और वजन 30 से 120 ग्राम तक होता है। बसंता पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
उदय प्रताप सिंह ने बताया कि मोटी नुकीली चोंच के चारों ओर बालों के घेरे की वजह से हरे रंग की इस चिड़िया को कापर स्मिथ बारबेट नाम की पहचान मिली है। सिर लाल और गला पीला होता है। इसके नीचे के हिस्से भूरे और काले रंग के धारीदार होते हैं। इसके पैर लाल रंग के होते हैं। पूंछ और गर्दन छोटी जबकि सिर बड़ा होता है।
फलों के बीज बिखेर कर अंकुरण में करते हैं मदद
बसंता जामुन, जंगली फल, कीड़े खाते हैं। मोटी नुकीली चोंच से फलों को मसलते हैं। बीजों और फलों के अपाच्य भागों को पुनर्जीवित कर देते हैं, जिससे जंगलों को पनपने और बढ़ने में मदद मिलती है।