![UP: ये शहर शराबी नहीं, 'पड़ोसी' की आमद से चमक रहे मयखाने; चार साल में करीब चार लाख बढ़ी कुशीनगर की आबादी Consumption of English liquor increased by 64 percent in Kushinagar](https://staticimg.amarujala.com/assets/images/2024/02/18/english-liquor_1708243261.jpeg?w=414&dpr=1.0)
English liquor
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कुशीनगर में मयखानों की चमक बढ़ती जा रही है। बीते चार वर्षों में जिले की आबादी तो बमुश्किल 10 फीसदी बढ़ी लेकिन अंग्रेजी शराब की खपत 64 फीसदी तक बढ़ गई। वहीं, बियर की मांग में डेढ़ सौ फीसदी का उछाल आ चुका है। दरअसल, बिहार में शराब पर पाबंदी की वजह से सीमावर्ती जिले में शौकीनों की आमदरफ्त बढ़ गई और शराब की बिक्री साल-दर-साल नए रिकॉर्ड बना रही है।
सरकारी विभागों के आंकड़े इसकी तस्दीक कर रहे हैं। बुद्धनगरी कुशीनगर का बड़ा हिस्सा बिहार के पश्चिमी चंपारण और गोपालगंज जिले से जुड़ा है। दवा-इलाज और खरीदारी की जरूरतों के साथ इस पार से उस पार तक लोगों की रिश्तेदारियां भी हैं इसलिए आना-जाना रहा है।
बिहार में शराब पर पाबंदी के बाद हाईवे के अलावा गांव-कस्बों की पगडंडियों के रास्ते शराब की तस्करी तो बढ़ी ही, शराब के शौकीन तलब पूरी करने के लिए सीमा पार तक पहुंचने लगे हैं। इसी का नतीजा है कि सीमाई इलाकों में शराब के अड्डे बढ़ते गए और लाइसेंसी दुकानों से भी शराब बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है।
पड़ोसी जिले देवरिया के लार, बनकटा और खामपार क्षेत्र बिहार के सीवान से जुड़ते हैं, भटनी और बरियारपुर से गोपालगंज जुड़ता है। जानकारों के मुताबिक लार के रास्ते रामजानकी मार्ग से भी बिहार जुड़ता है। सीमा पार बिहार जाने के लिए अन्य रास्ते गांव-गिराव की टूटी सड़कों और पगडंडियों वाले ही हैं। शायद यही वजह है कि देवरिया के रास्ते बिहार तक तस्करों की पैठ ज्यादा आसान है और यहां शराब की लाइसेंसी दुकानों से शराब की बिक्री में बढ़ोत्तरी औसत ही रह गई है।