UP: बिहार का बदलाव यूपी में भी बढ़ाएगा विपक्ष की मुश्किलें, ये समीकरण सुलझाने में एनडीए को होगा बड़ा फायदा

Change in Bihar will increase the problems of the opposition in UP also

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– फोटो : अमर उजाला

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बिहार का राजनीतिक बदलाव यूपी की सियासत में भी असर दिखाएगा। विपक्ष की जहां मुश्किलें बढेंगी, वहीं ओबीसी में दूसरे नंबर की सबसे बड़ी आबादी कुर्मी वोट बैंक को रिझाने में भाजपा को आसानी हो सकती है, हालांकि यह भी समय बताएगा कि भाजपा के लिए नीतीश कितने फायदेमंद होंगे। लेकिन एक बात तो तय है कि विपक्ष की मुश्किलें अब बढ़ेंगी।

यूपी में ओबीसी फैक्टर की बड़ी भूमिका होती है। इसलिए सभी दलों की नजर इसी वर्ग पर रहती है। प्रदेश में लगभग 25 करोड़ की आबादी में लगभग 54 प्रतिशत पिछड़ी जातियां हैं। इनमें मुस्लिम समाज के अंतर्गत आने वाली पिछड़ी जातियों की हिस्सेदारी लगभग 12 प्रतिशत मानी जाती है। 

अगर मुस्लिम समाज की पिछड़ी जातियों को पिछड़ी जातियों की कुल आबादी से हटा दिया जाए तो हिंदू आबादी में लगभग 42 प्रतिशत पिछड़ी जातियां आती हैं। इनमें सबसे अधिक 20 प्रतिशत यादव और दूसरे नंबर पर लगभग 9 प्रतिशत कुर्मी हैं। प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों में दो दर्जन से अधिक सीटें ऐसी हैं, जिन पर कुर्मी मतदाताओं की संख्या चुनावी परिणामों को प्रभावित करती है।

पिछड़ों को मंत्रिमंडल में तवज्जो

प्रदेश में इस समय भाजपा और गठबंधन के 8 सांसद कुर्मी समाज से आते हैं। कुर्मियों को साधने के लिए भाजपा ने जहां प्रदेश में स्वतंत्र देव सिंह, आशीष सिंह पटेल, राकेश सचान, संजय गंगवार को मंत्रिमंडल में भागीदारी दे रखी है तो केंद्र में यूपी के महराजगंज से सांसद पंकज चौधरी और मिर्जापुर से सांसद व अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिय़ा पटेल भी मंत्री हैं। 

 

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