अदालत।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी के बाद एक जोड़े की ओर से सुरक्षा की मांग पर कहा है कि दो महीने में शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया तो सुरक्षा का आदेश स्वत: निरस्त हो जाएगा। न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। मामले में जोड़े ने 22 दिसंबर 23 को आर्य समाज, जार्ज टाउन, प्रयागराज में हिंदू रीति रिवाज से शादी की थी।
याची के अधिवक्ता ने बताया, प्रमाणपत्रों के अनुसार दोनों बालिग हैं, लेकिन याची के पिता वैवाहिक जीवन में अशांति पैदा कर रहे हैं। याची ने 22 जनवरी 24 को सुरक्षा के लिए फिरोजाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के समक्ष आवेदन किया था, लेकिन उन्हें कोई सुरक्षा नहीं दी गई। इस पर हाईकोर्ट में याचिका दायर करके सुरक्षा की गुहार लगाई गई, वहीं स्थायी अधिवक्ता ने भी अपना पक्ष रखा।
कोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद कहा, हाईस्कूल मार्क्सशीट के अनुसार दोनों बालिग हैं। ऐसे में याची अपनी पसंद का साथी चुनने के लिए स्वतंत्र हैं, इसमें माता-पिता भी हस्तक्षेप नहीं कर सकते। याची आदेश की प्रति के साथ एसपी फिरोजाबाद से मिलेंगे, जो तत्काल सुरक्षा प्रदान करेंगे।
साथ ही याची को दो माह में यूपी विवाह पंजीकरण नियम 2017 के तहत अपनी शादी का पंजीकरण कराना होगा। ऐसा नहीं होने पर यह आदेश स्वत: निरस्त हो जाएगा। वहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि यह आदेश याचियों के विवाह की वैधता के बारे में नहीं है।