रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने सोमवार को असॉल्ट राइफल ‘उग्रम’ का अनावरण किया है। ये ‘उग्रम’ राइफल 7.62 x 51 मिमी कैलिबर की एक अत्याधुनिक, स्वदेशी असॉल्ट राइफल है, जो डीआरडीओ की पुणे स्थित प्रयोगशाला, आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एआरडीई) ने हैदराबाद स्थित डीवीपा आर्मर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की मदद से विकसित और निर्मित हुई है।
ये जानकारी डीआरडीओ के अधिकारियों ने सोमवार को दी है। अधिकारियों के मुताबिक इस हथियार को भारतीय सेना की चार किलोग्राम से कम वजन वाली राइफल की जीएसक्यूआर (जनरल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट) को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। असॉल्ट राइफल के प्रोटोटाइप का अनावरण एआरडीई के निदेशक ए. राजू की उपस्थिति में महानिदेशक (आर्ममेंट एंड कॉम्बैट इंजीनियरिंग क्लस्टर) डॉ. एसवी गाडे ने किया।
राजू ने कहा कि यह डीआरडीओ और एआरडीई के लिए एक यादगार क्षण है। एक विज्ञप्ति में उनके हवाले से कहा गया है, “हम पिछले दो-तीन वर्षों से असॉल्ट राइफल के डिजाइन पर काम कर रहे हैं और डीवीपा आर्मर इंडिया लिमिटेड की मदद से हम रिकॉर्ड समय में इस उत्पाद को तैयार कर सके। यह हथियार पूरी तरह से स्वदेशी है और समान क्षमता वाले हथियारों के अंतरराष्ट्रीय मानकों से मेल खाता है। इस असॉल्ट राइफल ‘उग्रम’ की खासियत है कि ये सशस्त्र बलों, अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस इकाइयों के लिए डिजाइन की गई है।
ये हैं असॉल्ट राइफल ‘उग्रम’ की खासियत
– 500 मीटर है राइफल की रेंज
– 20 राउंड मैगजीन लोड हो सकता है
– सिंगल औप फुल ऑटो दोनों मोड में फायर करने में सक्षम
– भारतीय सेना के जनरल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट को ध्याम में रखकर हुई तैयार
– चार किलोग्राम से कम है वजन
भारत में है इन राइफल्स की कमी
बता दें कि भारत में असॉल्ट राइफल्स की काफी कमी देखने को मिलती है। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण एके-203 प्रोजेक्ट को शुरू नहीं किया गया है। वर्तमान में इजराइल और हमास के बीच जारी युद्ध के कारण भी कई समस्याएं आई है। ऐसे में आत्मनिर्भर होते हुए डीआरडीओ ने 60 करोड़ रुपये खर्च कर इस परियोजना पर काम किया है। इससे राइफ्लस को खरीदने में भारत की आयात पर निर्भरता में भी कमी देखने को मिलेगी।