विनय अग्निहोत्री/भोपाल. राजधानी भोपाल में, केएमपी काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में, ब्रिटिश उच्चायुक्त और मंत्री, ओमप्रकाश सकलेचा, नेयू-क्रिस्प टूल का शुरूआत किया है. इस टूल का उद्घाटन भोपाल में हुआ है, और यह उपक्रिया सूखे की भविष्यवाणी और मनरेगा में हो रहे जलवायु परिवर्तन से निपटने की तैयारी से जुड़े कामों का निगरानी रखने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. यह एआई आधारित टूल की पायलट फेज देश के सबसे पहले रायसेन और सीहोर जिलों में शुरू हो चुका है. इस टूल को तैयार करने में भारत के केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और ब्रिटिश सरकार के फॉरन कॉमनवेल्थ एंड डेवलपमेंट ऑफिस (एफसीडीओ) की मदद हो रही है, और यह इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर क्लाइमेट रेजिलिएंट ग्रोथ प्रोग्राम (आईसीआरजी) के तहत काम किया गया है.
भोपाल में U- क्रिप्सटूल लॉन्च
मप्र काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एमपीसीएसटी) के महानिदेशक अनिल कोठारी और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरोमेंट एंड डेवलपमेंट (आईआईईडी) की टीम लीडर रितु भारद्वाज ने बताया है कि मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भारत में ब्रिटिश हाईकमिशनर संयुक्त रूप से इस टूल की शुरुआत की है. इस परियोजना के अंतर्गत, ब्रिटिश हाईकमिशनर और 18 सदस्यीय दल ने भोपाल में 2016 तक के डेटा को एक संगठित तरीके से जोड़कर भौगोलिक जानकारी, टोपोग्राफी, और जल संरचनाओं की स्थिति का मॉनिटरिंग किया है.
भूमि की भूजल स्थिति, सतही वर्षा जल अपवाह, वर्षा पैटर्न की जानकारी
एमपीसीएसटी के महानिदेशक अनिल कोठारी ने बताया कि यह टूल अक्टूबर 2021 में लॉन्च किया गया था और मध्य प्रदेश पहला राज्य है जहां इस टूल का उपयोग सीहोर और रायसेन जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किया गया है. इस टूल का उपयोग समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ भूमि की भूजल स्थिति, सतही वर्षा जल अपवाह, वर्षा पैटर्न, और अन्य जल संरचनाओं की स्थिति का मॉनिटरिंग भी करता है, जिसका उपयोग जल संरक्षण के लिए दीर्घकालिक योजना बनाने के लिए किया जा सकता है.
ग्रामीण समुदायों को सहायता
मध्य प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (एमपीसीएसटी) ने अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण और विकास संस्थान (आईआईईडी) के सहयोग से एमजीएनआरईजीएस (सीआरआईएसपी-एम) के लिए जलवायु लचीलापन सूचना प्रणाली और योजना उपकरण विकसित किया है. यह टूल ग्रामीण समुदायों को जलवायु परिवर्तन की संभावित चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगा. इसके जरिए, ग्रामीण परिवारों को स्थानीय जलवायु डेटा को प्राप्त करने और साझा करने की सुविधा मिलेगी. यह टूल जलवायु संकट का सामना करने में मदद करेगा और ग्रामीणों की आजीविका की सुरक्षा के लिए संसाधनों तक पहुंचने में भी मदद करेगा. इसके अलावा, यह टूल समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा.
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FIRST PUBLISHED : September 03, 2023, 22:27 IST