पाकिस्तान ने पहले तो अपने यहां आतंकवादियों को पनपाया, उन्हें प्रशिक्षण से लेकर हर तरह की मदद दी, यही नहीं विदेशी आतंकवादियों को भी अपने यहां पनाह दी और तो और अफगानिस्तान की निर्वाचित सरकार को पलटने के लिए तालिबानियों की भी बढ़-चढ़कर मदद की लेकिन अब जब वही आतंकवादी और तालिबानी पाकिस्तान की जान के दुश्मन बन गये हैं तो पाकिस्तान का रुख बदलता दिख रहा है। हाल के समय में कई विस्फोटों से थर्राया पाकिस्तान समझ नहीं पा रहा है कि कैसे हालात पर काबू पाया जाये। इसके लिए वहां की कार्यवाहक सरकार ने एक बड़ी बैठक बुलाई जिसमें कार्यवाहक प्रधानमंत्री, उनकी कैबिनेट के महत्वपूर्ण सदस्य और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर तथा अन्य ने भाग लिया। बैठक में घंटों तक मंथन हुआ कि खुद के ही पैदा किये हुए आतंकी और अवैध प्रवासी जो आज सर पर चढ़कर नाच रहे हैं उन्हें काबू में कैसे लाया जाये। बैठक में काफी विचार-विमर्श के बाद नायाब फॉर्मूला निकाला गया है लेकिन इसके चलते भी पाकिस्तान का सिरदर्द और बढ़ने वाला है।
हम आपको बता दें कि पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार ने हजारों अवैध अप्रवासियों के लिए देश छोड़ने या निर्वासन का सामना करने की समय सीमा एक नवंबर तय की है। कार्यवाहक सरकार के गृह मंत्री सरफराज बुगती ने यह जानकारी देते हुए ऐलान किया है कि सरकार ने आतंकवाद और तस्करी में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। हालांकि सरफराज बुगती के ऐलान के बाद सवाल उठ रहा है कि जब पाकिस्तान विदेशी आतंकवादियों को अपने यहां से भगायेगा तो वह किस पड़ोसी देश में जायेंगे? सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या पाकिस्तानी अधिकारियों में इतनी हिम्मत है कि वह आतंकवादियों को देश से बाहर का रास्ता दिखा पाएंगे? इसके अलावा जिस तरह पाकिस्तान के निर्णय के बाद अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने कहा है कि वह अपने देश में किसी को घुसने नहीं देगी, ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि जब पाकिस्तान अवैध लोगों को बाहर निकालेगा और अफगानिस्तान उनको अपने यहां घुसने नहीं देगा तो क्या ऐसे में दोनों पक्षों के बीच कोई संघर्ष भी हो सकता है। हम आपको बता दें कि पाकिस्तान सरकार के आंकड़ों के मुताबिक लगभग 17 लाख अफगानी नागरिक बिना किसी दस्तावेज के पाकिस्तान में अवैध रूप से रह रहे हैं।
हम आपको बता दें कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकड़ की अध्यक्षता में शीर्ष समिति की एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद प्रेस वार्ता में सरफराज बुगती ने कहा कि जल्द ही कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अवैध प्रवासियों के खिलाफ निर्देश मिलेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास में हुई बैठक में उग्रवाद के खतरे से निपटने के लिए 2015 में तैयार की गई राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत अवैध अप्रवासियों को हटाने का निर्णय लिया गया। बुगती ने कहा, “पहला निर्णय उन अप्रवासियों के बारे में है जो अवैध तरीकों से पाकिस्तान में रह रहे हैं। हमने उन्हें स्वेच्छा से उनके देश लौटने के लिए एक नवंबर तक की समय सीमा दी है और यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो राज्य और प्रांतों की सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियां उन्हें निर्वासित कर देंगी।”
उन्होंने कहा कि बैठक में निर्णय लिया गया कि किसी पाकिस्तानी का कल्याण और सुरक्षा सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण है और अवैध रूप से रहने वाले लोगों को निष्कासित करने के निर्णय के संबंध में सभी हितधारकों को “भरोसे में लिया गया”। उन्होंने कहा कि अवैध अप्रवासियों के स्वामित्व वाली या पाकिस्तानियों के सहयोग से चलाए जा रही अवैध संपत्तियों और व्यवसायों के खिलाफ आंतरिक मंत्रालय में पहले से ही बनाए गए एक कार्य बल द्वारा एक नवंबर के बाद एक अभियान शुरू किया जाएगा। मंत्री ने कहा कि एक नवंबर के बाद किसी को भी बिना पासपोर्ट या वीजा के पाकिस्तान में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और बिना वैध दस्तावेजों के साथ प्रवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति को निर्वासित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अवैध राष्ट्रीय पहचान पत्र रखने वालों को भी लक्षित किया जाएगा।