दक्षिण में कर्नाटक में जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस की नजरें अब तेलंगाना पर हैं। पार्टी राज्य में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए पूरी रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतर चुकी है। तेलंगाना विधानसभा चुनाव में अपनी बढ़त बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी बीआरएस के सत्ता विरोधी लहर का फायदा भुनाना चाहती है।
दक्षिण में कर्नाटक में जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस की नजरें अब तेलंगाना पर हैं। पार्टी राज्य में कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए पूरी रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतर चुकी है। बता दें कि कर्नाटक में मिली जीत के बाद कांग्रेस के आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है। ऐसे में कांग्रेस राज्य में अपनी बढ़त बनाने के लिए कर्नाटक वाले फॉर्मूले को यहां पर भी लागू कर रही है। बता दें कि साल 2018 के चुनाव में तेलंगाना में कांग्रेस की खाते में 19 सीटें आई थीं। लेकिन इस बार कांग्रेस की तैयारियों को देखकर लग रहा है कि राज्य में सत्तारूढ़ बीआरएस को कांग्रेस से बड़ा नुकसान हो सकता है।
कांग्रेस लगा रही एड़ी चोटी का जोर
तेलंगाना विधानसभा चुनाव के चलते कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता आए दिन राज्य के दौरे पर हैं। वहीं हाल ही में सोनिया गांधी ने तेलंगाना में रैली के दौरान कहा था कि राज्य में कांग्रेस की सरकार देखना उनका सपना है। हांलाकि कांग्रेस का राज्य में सत्तारूढ़ होने का सपना कितना साकार होता है, यह तो समय आने पर ही पता चलेगा। लेकिन पार्टी अपनी तैयारियों में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसके लिए कांग्रेस द्वारा राज्य में 6 गारंटियों की घोषणा की गई है। बता दें कि आगामी 30 नवंबर को होने वाले चुनाव में कांग्रेस सत्ता में लौटने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।
राज्य में कांग्रेस की कमजोरियां
भले ही बाहर से कांग्रेस अति-उत्साही नजर आ रही है, लेकिन पार्टी के भीतर लगातार असंतोष और नेताओं की खुली आलोचना राज्य में सत्ता के राह में रोड़ा बन सकती है। वहीं राजनीतिक चतुराई में बीआरएस और भाजपा, कांग्रेस से कहीं आगे नजर आती है। वहीं पिछले कुछ समय में कई अहम नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के लिए चिंता ज्यादा बढ़ गई है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी बीआरएस के सत्ता विरोधी लहर का फायदा भुनाना चाहती है।
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