चुनाव आते हैं तो सिखाते हैं। इंसान जितना सीखता जाता है वह उतना ही गुरु होता…
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भगवान या गवान (व्यंग्य)
अपनी साढ़े तीन साल की नातिन के सामने किसी बात पर मैंने कहा, ‘हे! भगवान्’। कुछ…
उपहार तो लेने की चीज़ है (व्यंग्य)
मानवीय व्यवहार में देने की संस्कृति को सराहा जाता है। माना जाता है कि दूसरों को…
किसके आगे बीन बजाऊँ (व्यंग्य)
नई नवेली सरकार एकदम नई नवेली बहू की तरह होती है। बहू के लिए ससुराल और…
दाढ़ी और मूँछ (व्यंग्य)
Prabhasakshi मैं दाढ़ी-मूँछ के बालों से पूछना चाहता हूँ कि कब से तुम धर्म के नाम…
उल्टा-पुल्टा (व्यंग्य)
खरगोश शेर के पास पहुँचा। उसने देखा वनराज शेर महाराज भूख के मारे आग बबूला हुए…
पढ़ाई करते करते बना लिया समाज सेवा का मन, अब तक कर चुके ये बड़े-बडे काम
सौरभ तिवारी/बिलासपुरः आपने कई समाज सेवी संस्थाओं के बारे में पढ़ा और सुना होगा. ये संस्थाएं…
सम्मेलनाय नमः (व्यंग्य)
कहते हैं अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। जब समूह में फोड़ने की सोचते हैं तो…
महंगाई होती तो हम कैसे जीतते (व्यंग्य)
न्यूज चैनलों के प्रभाव और कुछ अपनी सृजनात्मकता जोड़ एक दिन बच्चे साक्षात्कार का खेल खेल…
सरकार के काम करने का तरीका (व्यंग्य)
चुनाव जीतने पर नई सरकार चीते की तरह गुर्राने लगती है। समझदार सरकार अपना कार्यकाल दो…