राजनीति के दरवाज़ें (व्यंग्य)

राजनीति में शामिल लोग आजकल खेला करने में लगे हैं। खेला करने के लिए उसके भावात्मक…

आंकड़ों के हलवे का जलवा (व्यंग्य)

आंकड़ों का हलवा फैशन के खूबसूरत जलवे की तरह होता है। अभिभावक अपने बड़े होते लेकिन…

अपने देश की याद (व्यंग्य)

हम जब भी विदेश जाते हैं तो अच्छा लगता है। कुछ दिन मन मर्ज़ी का खाओ,…

सम्मान वही जो मंत्रीजी से पाएं (व्यंग्य)

पिछले दिनों शहर की एक संस्था के पदाधिकारी ने कहा कि उनकी संस्था हमें सम्मानित करना…

नेताजी का हार्दिक स्वप्न (व्यंग्य)

सर्दी का मौसम खत्म होने वाला हो और चुनाव की बहार शुरू तो बहुत से बंदे…

बजट महाराज आयो रे (व्यंग्य)

बजटजी आकर्षक महाराज होते हैं जिनके आने से पहले आम जनता रंगीन ख़्वाब देखती हैं और…