लालफीते वालों की जय (व्यंग्य)

आपको बिलकुल याद नहीं होगा, किसी समय की बात है किन्हीं गलत लोगों ने मिलकर कड़ी…

पुतले फूंकने की संस्कृति ज़रूरी (व्यंग्य)

राजनीति ने पुतले फूंकने में हमेशा दिलचस्पी ली है। अच्छाई की परेशानियां रोजाना बढ़ती जाती हैं…

सरकार हमारी बनेगी (व्यंग्य)

विधानसभा क्षेत्रों में इंतज़ार की अंगीठियां सेंकी जा रही हैं। कयासों की बारिश जारी है जो…

मेंढ़कलाल की फुदकियाँ (व्यंग्य)

हे मेंढ़कलाल! आपकी फुदकियों को शत-शत प्रणाम। पिछले कई वर्षों से पाँच का पहाड़ा पढ़कर पाँच,…

पार्टी बदलना है… (व्यंग्य)

कद्दावर नेता अपने भूतपूर्व होने वाली पार्टी के मुखिया के सामने बैठे थे। उन्होंने अपना दुखड़ा…

समाज सेवा का फायदा (व्यंग्य)

विज्ञापन ही आज का प्रबंधन सूत्र है इसलिए काम हो न हो दूसरे लोगों के सामने…

कुर्सी की माया, कोई समझ न पाया (व्यंग्य)

लोटाबाबू की शिष्यता करने वाले एक-दो चेले चपाटों ने एक दिन मजाक-मजाक में पूछ लिया कि…

भारतीय राजनीति में चीते और घोड़े (व्यंग्य)

जानवरों का सामयिक प्रयोग तो कब से हो रहा है। गाय, राजनीति का महत्त्वपूर्ण अंग, रंग…