“मेरे प्रतिनिधि हास्य व्यंग्य” श्री अरुण अर्णव खरे के चर्चित एवं प्रतिनिधि व्यंग्यों का संकलन है।…
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‘हमारे संज्ञान में नहीं आया है’: संज्ञान, अंतर्ज्ञान और अंतर्धान (पुस्तक समीक्षा)
अधिकांश लोगों का मानना है कि हिंदी समाज में अन्याय और दमन ज्यादा होता है। इस…