सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : इन दिनों शरदकालीन गन्ने की बुवाई हो रही है. गन्ने की बुवाई को लेकर उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिकों ने किसानों को कुछ सावधानियां रखने के लिए सचेत किया है . वैज्ञानिकों का कहना है की बुवाई के वक्त अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो गन्ने में रोग नहीं लगेंगे और कम लागत में अच्छा उत्पादन भी मिलेगा.
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक प्रकाश यादव ने बताया कि शरदकालीन गन्ने की बुवाई के लिए यह समय बेहद ही माकूल है. किसानों को गहरी जुताई कर खेत को तैयार कर लेना है. उसके बाद ट्रेंच विधि से कूड बनाकर उसमें प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 10 टन गोबर की सड़ी हुई खाद डाल देनी है. उसके बाद सिंगल बड़ से गन्ने की बुवाई की जा सकती है. सिंगल बड़ से बुवाई करने से गन्ने का बीज 10-12 क्विंटल लगेगा जबकि दो आंख के गन्ने की बुवाई करने से 65 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बीज की खपत होगी. डॉ श्री प्रकाश यादव ने बताया कि एक हेक्टेयर में 25000 गन्ने के पौधे लगाने चाहिए .
लाइन की दूरी का रखें विशेष ध्यान
शरदकालीन गन्ने की बुवाई के दौरान सावधानी यह रखनी है कि लाइन से लाइन की दूरी करीब 4 फीट से कम ना हो और 20 सेंटीमीटर तक की गहराई पर बुवाई की जाए जिससे गन्ने का जमाव अच्छा होगा. गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक श्री प्रकाश यादव ने बताया कि गन्ने की बुवाई के दौरान किसानों को 100 Kg प्रति हेक्टेयर के हिसाब से यूरिया और 500 Kg सिंगल सुपर फास्फेट का इस्तेमाल करना होगा. इसके अलावा 100 किलो MOP, 25 किलो जिंक सल्फेट और 25 किलो रीजेंट का भी इस्तेमाल करें. इन सभी उर्वरकों को कूड़ में डालने के बाद मिट्टी में अच्छे से मिला दें.
जैविक उर्वरकों का भी करें इस्तेमाल
कार्बनिक और रासायनिक उर्वरक के साथ-साथ जैविक उर्वरक का भी इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है. गन्ने की बुवाई के दौरान 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बवेरिया बेसियाना मेटाराइजियम एनिसोप्ली और 10 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पीएसबी (Phosphorus Solubilizing Bacteria) और 10 किलो यह एजोटोबैक्टर का भी इस्तेमाल करना है. उसके बाद जैविक उर्वरकों को मिट्टी में मिला दें और सिंगल बड़ या दो बड़ वाले गन्ने के बीज को कूड़ में रखकर 5 सेंटीमीटर तक मिट्टी की परत से ढक दें. 20 से 25 दिन बाद गन्ने का पूरा जमाव हो जाएगा और करीब एक महीने बाद गन्ने में हल्की सिंचाई कर दें. सिंचाई के वक्त करीब 70 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव कर दें.
किसानों के लिए सहफसली होगी मददगार
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिक डॉक्टर प्रकाश यादव का कहना है कि गन्ने के साथ सहफसली खेती भी की जा सकती है. सहफसली खेती करने से गन्ने में लगने वाली लागत का एक बड़ा हिस्सा सहफसली से किसानों को मिल जाता है. जिस गन्ने की फसल तैयार करने में किसानों को आर्थिक तौर पर बड़ी मदद मिल जाती है. किसान सहफसली के रूप में आलू, लहसुन, लाही, मटर और राजमा को भी उग सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 3, 2023, 22:36 IST