
हफ़्ते भरे में सामने आए ये मामले
गायक केके, कॉमेडियन राजू, एक्टर सिद्धार्थ जैसे ख़ास लोगों की मौत का गम हम ठीक से भुला पाते कि हाल ही में एक बाद एक उसी तरह के मामले आम लोगों के बीच आना शुरू हो गए। रोज की तरह चलती जिंदगी के अचानक थमते हुए रिकॉर्ड वीडियो सोचने मजबूर कर रहे हैं। बीते हफ़्ते में एमपी के जबलपुर में बस चला रहा ड्राइवर हार्ट अटैक का शिकार हुआ। उसके दो दिन बाद ही एमपी के ही कटनी में साईं मंदिर दर्शन करने के दौरान एक भक्त को दिल का दौरा पड़ा और उसकी मौत हो गई। फिर मेरठ में अपने दोस्तों के साथ वॉक कर रहे युवक को छींक आई फिर जमीन पर गिरा तो उठा ही नहीं।

ऐसी हो रही मौतों की वजह सिर्फ हार्ट अटैक !
साल भर में आम से लेकर ख़ास लोगों की अचानक गई जान के पीछे एक्सपर्ट सबसे बड़ी वजह हार्ट अटैक ही बताते हैं। अधिकांश घटनाओं में यह डाक्यूमेंटेड तो नहीं है, लेकिन जिस तरह की परिस्थितियां निर्मित हो रही है, ऐसी मौतों की वजह कॉर्डियक अरेस्ट ही है। क्योकि बाकी तरह की बीमारियों में लोगों को संभलने का कुछ टाइम मिलता है, लेकिन सडनली हार्ट फेल में कोई चांस नहीं मिल रहा।

युवा एकदम इसलिए हो रहे शिकार
इस मामले में हमने हार्ट विशेषज्ञों से जानने का प्रयास किया कि सीनियर सिटिजन से ज्यादा यंग जनरेशन हाल ही में ऐसी घटनाओं का क्यों शिकार हो रही हैं? एमपी के जबलपुर के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पुष्पराज पटेल बताते है कि ओल्ड एज पेशेंट के मुकाबले यंग जनरेशन में ऐसी स्थितियों की बड़ी वजह अनस्टेबल प्लाक है। अचानक यह टूटने पर खतरनाक थक्का बन जाता है। कोलेटरल डेवलप होने का वक्त ही नहीं मिल पाता। दूसरी तरफ ओल्ड एज व्यक्ति को सडन हार्ट अटैक में नैचुरल बायपास कोलेटरल चैनल अपने आप बन जाते है। जिससे उन्हें बचाव का थोड़ा वक्त मिल जाता है।

पहले भी ऐसी ही लाइफ स्टाइल थी, लेकिन अभी ऐसा क्यों?
डॉ. पुष्पराज पटेल ने भी मौजूदा वक्त में सामने आ रहे ऐसे केस पर चिंता जताई। उनका कहना है कि इस तरह के मामले रिसर्च का विषय भी है। यह सच है कि साल भर के भीतर जिस तरह के केस सामने आए उनकी लाइफ स्टाइल घटना के वक्त पहले से अलग नहीं रही। लेकिन एक दम से सामान्य नजर आने वाले व्यक्ति की जान चली जाना बेहद गंभीर है। डॉ. पटेल ने इसके पीछे एक बड़ी वजह कोविड फैक्टर बताई। उनका कहना है कि कोविड पीरियड में निमोनिया और ब्लड क्लॉटिंग भी देखने को मिली। उस समय लंग्स में एक्यूट प्रिजेन्टेशन था। उसी वक्त के कुछ लक्षण माने जा सकते है और साइड इफेक्ट भी कहा जा सकता है।

हार्ट अटैक और कॉर्डियक अरेस्ट में फर्क
डॉ. पुष्पराज पटेल ने बताया कि हार्ट अटैक और कॉर्डियक अरेस्ट दोनों में फर्क जानना भी बेहद जरुरी है। जब दिल का दौरा पड़ता है तो पेशेंट सामान्य तौर पर रिएक्ट करता है। लेकिन कॉर्डियक अरेस्ट में शरीर का हार्ट एक दम से काम करना बंद कर देता है। जरुरी है कि हम खुद को स्वस्थ महसूस कर रहे हो लेकिन समय समय पर लिपिड प्रोफाइल और अन्य जरुरी जांच जरुर कराए। ताकि वक्त रहते रिस्क का पता चल सकें।

यदि फैमली हिस्ट्री डेथ की रही तो भी सावधान
विशेषज्ञ यह भी बताते है कि सामान्य दिनचर्या, खान पान, रहन सहन का ख्याल रखते हुए फैमली हिस्ट्री भी ध्यान में रखना होगा। यदि परिवार में कुछ इस तरह के केस रहे है जिसमें सडन डेथ शामिल रही तो अलर्ट रहना चाहिए। कम से कम समय समय पर ECG तो कराना ही चाहिए। खासकर युवाओं को इस दौर में धुम्रपान, स्टेरॉयड जिम सप्लीमेंट, ज्यादा एक्सरसाइज, टेंशन होते हुए भी लगातार काम करते रहना, ज्यादा मोटापा से बचना चाहिए। इससे काफी हद तक मौजूदा वक्त में निर्मित हो रही स्थितियों को टाला जा सकता हैं।