Success Story : माता-पिता की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ टीपीए बिजनेस किया, अब 3000 करोड़ का पोर्टफोलियो

नई दिल्ली. पेश से मैकनिकल इंजीनियर. काम में मन नहीं रमा तो मार्केटिंग में एमबीए किया. हचिसन टेलीकॉम (अब वोडाफोन आइडिया) में सेल्स और मार्केटिंग की कमान संभाली. फिर भी, आरामदायक कॉर्पोरेट जगत को छोड़ दिया. वजह, भारत में रहने वाले अपने वृद्ध माता-पिता के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का ध्यान रखना.
ऊपर जिस शख्स की बात हो रही है, वह है मैकेनिकल इंजीनियर गिरीश राव. उन्होंने 2002 में बेंगलुरू में विडाल हेल्थ शुरू किया. विडाल हेल्थ हेल्थकेयर स्पेस में थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेशन (TPA) सेवाएं प्रदान करता है. एक टेलीकॉम और फिनटेक पेशेवर शंकर बाली ने उन्हें संयुक्त प्रबंध निदेशक के रूप में ज्वाइन किया. युअर स्टोरी में प्रकाशित खबर के मुताबिक, आज विडाल हेल्थ 3000 करोड़ रुपए का प्रीमियम पोर्टफोलियो मैनेज करती है.
यह भी पढें : नौकरी की बात : टेक्नोलॉजी की वजह से इन जगहों पर नौकरियों की भरमार, जानें सबकुछ 

जेफ बेजोस इंटरनेट पर चैंपियन बन रहे थे, उन्हीं से प्रेरणा पाई
गिरीश ने भारत में रहने वाले उनके वृद्ध माता-पिता के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के साथ अनिवासी भारतीयों (NRI) की मदद के लिए एक व्यवसाय शुरू किया. वे कहते हैं, “अमेरिका में रह रहे NRIs के लिए अपने घर (भारत) में रह रहे उनके माता-पिता की देखभाल करने में समस्याएं थीं. वे दोनों देशों के बीच अक्सर यात्रा नहीं कर सकते थे. उस समय, जेफ बेजोस इंटरनेट पर चैंपियन बन रहे थे. उनसे प्रेरित, मैंने एनआरआई और उनके माता-पिता के लिए एक सर्विस पोर्टल लॉन्च किया.” गिरीश ने एनआरआई डेटाबेस बनाने के लिए कई मॉडल ट्राई किए. इनमें बैंकों के साथ काम करने से लेकर एक ऐसी कंपनी का अधिग्रहण शामिल है जो इंटरनेट एक्सेस के बिना एनआरआई से उनके बुजुर्ग माता पिता के लिए फिजिकली ईमेल पोस्ट करती थी.
यह भी पढ़ें : सालों में एक बार मिलता है मौका, पैसा कमाना चाहते हैं तो तुरंत करें यह काम

बिजनेस में जितना पैसा लगाया, सब डूब गया
गिरीश का बिजनेस उठा नहीं और 2000-2002 के बीच, गिरीश ने अपने द्वारा निवेश किए गए फंड को खो दिया. हालांकि इसके बावजूद, उन्होंने महसूस किया कि अस्पतालों का नेटवर्क जो उन्होंने प्रमुख भारतीय शहरों में बनाया था, तब काम आ सकता था जब सरकार निजी क्षेत्र के लिए स्वास्थ्य बीमा खोल रही थी. वे कहते हैं, “2001 में, एक सफेद कागज था जिसमें बताया गया था कि इस स्पेस में निजी संगठन कैसे अपना वजूद बना सकते हैं. डॉक्यूमेंट को देखते हुए, मुझे लगा कि मैंने तो पहले ही इस तरह के एक संगठन का निर्माण करने के लिए एक नेटवर्क बनाया हुआ है. 2002 में, मैंने आवेदन किया और लाइसेंस मिल गया.”
यह भी पढें :  नौकरी की बात: पुरानी कंपनी, बॉस और सहकर्मियों के संपर्क में रहिए, लग सकती है जॉब्स की लॉटरी 

उदारीकरण और इंटरनेट की बढ़ती लोकप्रियता ने बढ़ाया बिजनेस
90 के दशक के अंत में भारत में बीमा क्षेत्र के उदारीकरण (लिबरलाइजेशन) और इंटरनेट की बढ़ती लोकप्रियता ने गिरीश राव की उद्यमी यात्रा को गति दी. यथास्थिति को चुनौती देने और जटिल समस्याओं को हल करने का उद्देश्य रखने वाले गिरीश ने युअर स्टोरी को बताया, “उस समय, भारतीय बीमा सेक्टर को निजी संगठनों के लिए खोला गया था. मुझे लाइसेंस मिला और भारत व विदेश में स्वास्थ्य बीमा पॉलिसीधारकों को अच्छी क्वालिटी वाली टीपीए सेवाएं प्रदान करने के मिशन के साथ विडाल हेल्थ शुरू हुआ.
800 से अधिक लोकेशन पर काम करती है विडाल
वर्तमान में, विडाल – भारत की शीर्ष स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन कंपनियों में से एक है – जो भारत में 800 से अधिक लोकेशन पर काम करती है और 10,000 से अधिक सेवा प्रदाताओं के साथ साझेदार है, जिनमें अस्पताल, डायग्नोस्टिक्स लैब और चिकित्सक शामिल हैं. गिरीश का दावा है कि विडाल हर साल 10 लाख से ज्यादा क्लेम (दावों) और आठ लाख प्री ऑथराइजेशन रिक्वेस्ट का निस्तारण करता है. यहां तक कि यह स्वास्थ्य बीमा में 3,000 करोड़ रुपए के प्रीमियम पोर्टफोलियो को संभालता है. हालांकि, गिरीश के लिए, उनके पहले उद्यम की विफलता ने विडाल हेल्थ की स्थापना के बीज बोए.

Tags: Becoming a successful entrepreneur, Business, Business news, Business news in hindi, Success Story

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *