Success Story: खुद हुए अनसक्सेस तो तैयार कर दी नेशनल-इंटरनेशनल खिलाड़ी की फौज! जानिए वुशु कोच राजेश की कहानी

गौरव सिंह/भोजपुर: बिहार के आरा में एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिनकी प्रतिभा और मेहनत दुनिया के सामने नहीं आ पाई है. पर इनके शिष्य दुनिया पर छा गए हैं. ये एक गुरु हैं जिनकी बदौलत बिहार और भोजपुर में वुशु जैसा खेल सामने आया है. भारत को कई इंटरनेशनल मेडल प्राप्त हुए है. हम बात कर रहे हैं आरा के रहने वाले पूर्व वुशु और वर्तमान वुशु कोच राजेश प्रसाद ठाकुर की. अब तक इनके शिष्यों ने 50-60 राष्ट्रीय मेडल और 5 अंतराष्ट्रीय मेडल भारत की झोली में लाए हैं.

खिलाड़ी से बने कोच
राजेश प्रसाद ठाकुर 1983 से 1993 तक कराटा खेलते थे और उन्होंने इस समय में दो अंतरराष्ट्रीय मेडल जीते. पहला अंतरराष्ट्रीय मेडल नेपाल में मिला, और दूसरा मेडल झांसी में प्राप्त किया था. 1993 के बाद, वे आरा के खिलाड़ियों को कराटे का प्रशिक्षण देने लगे, लेकिन इसके बावजूद खिलाड़ियों को ज्यादा सफलता नहीं मिली, क्योंकि बिहार में कराटे जैसे खेल को बढ़ावा नहीं मिला. इसके बाद, उन्होंने वुशु गेम में खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने का काम किया.

वुशु गेम को मिली पहचान
कोच राजेश ठाकुर ने 2008 से आरा में वुशु गेम का प्रशिक्षण देना शुरू किया और इस दौरान उन्होंने 55 से 60 नेशनल खिलाड़ियों को तैयार किया है. उनके मार्गदर्शन में आरा से कई बड़े खिलाड़ी वुशु गेम में प्रतिष्ठा प्राप्त करने लगे हैं, जिससे न केवल राज्य स्तर पर बल्कि देश स्तर पर वुशु को एक नई पहचान मिली. इसके अलावा, बिहार से अब तक दो इंटरनेशनल वुशु गेम खेलने वाले खिलाड़ी नूतन कुमारी और राहुल कुमार भी आरा के रहने वाले हैं, और उन्होंने कोच राजेश ठाकुर के द्वारा प्राप्त की शिक्षा का उपयोग किया है. यह भी दिलचस्प है कि नूतन और राहुल दोनों गरीब परिवारों से हैं, लेकिन उन्होंने अपने कोच राजेश ठाकुर के मार्गदर्शन में इंटरनेशनल खिलाड़ियों की श्रेणी में पहुँचने में सफलता पाई, और यह सब किसी भी प्रकार के पैसे के बिना हुआ.

कई छात्र कर रहे नौकरी
वर्तमान समय में राजेश प्रसाद ठाकुर बिहार वुशु एसोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटरी हैं और भोजपुर जिला के सेक्रेटरी के साथ कोच और रेफरी दोनों की भूमिका निभाते हैं. स्कूल स्तर के प्रतियोगिताओं में वो रेफरी के तौर पर भी कार्यरत हैं, और जब किसी जिला या राज्य की वुशु टीम किसी प्रतियोगिता में भाग लेती है, तो उन्होंने अपनी भूमिका कोच के तौर पर निभाते हैं. वर्तमान में, उनके द्वारा लगभग 30 से 40 महिला और पुरुष खिलाड़ियों को वुशु का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे वे इस खेल में माहिर हो सकें.

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