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हिमांशु राय बताते हैं कि उनके नाना नानी बंटवारे के समय पाकिस्तान के एक गांव से विस्थापित होकर कानपुर आकर बसे थे. उनके नाना पं. किशनलाल शर्मा में लड़कियों के लिए संस्कृत का गुरुकुल चलाते थे, जिसकी वजह से माताजी बीए, बीएड, एमए, एमएड थीं, इसलिए उनको संस्कृत की शिक्षा व संस्कार विरासत में मिले. ऐसे में उनकी भी रूचि पढ़ने लिखने और दर्शन, वेद से लेकर प्रकृति में काफी रहती थी.