सड़क किनारे टेबल पर दुकान
पन्ना जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर पन्ना-अजयगढ़ मार्ग पर सड़क के किनारे दहलान चौकी गांव स्थित है। अब यह गांव आंवला मुरब्बा के लिए जाना जाता है। यहां निर्मित स्वादिष्ट और जायकेदार मुरब्बा को खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। गांव में घुसते ही सड़क किनारे “मां दुर्गा स्वयं सहायता समूह” का बोर्ड लगा है, जिसकी अध्यक्ष भगवती यादव हैं। काम के प्रति इनकी लगन और मेहनत उदाहरण के काबिल है। सड़क के किनारे टेबल पर आंवला मुरब्बा के पैक डिब्बे रखकर उनकी बिक्री करते भगवती यादव अक्सर ही नजर आ जाती हैं। यहां से गुजरने वाले यात्री अपना वाहन रोककर आंवला मुरब्बा खरीदते हैं। घर के पास टेबल में सजी इस छोटी दुकान से ही कई क्विंटल मुरब्बा बिक जाता है।
गांव की महिलाओं को दिखाया रास्ता
दहलान चौकी गांव में मां दुर्गा स्वयं सहायता समूह ने आंवला मुरब्बा बनाने का काम लगभग दस साल पहले शुरू किया था। इसकी कामयाबी से प्रेरित होकर गांव की अन्य महिलाएं भी इस राह पर चल पड़ीं। फलस्वरूप पूरा गांव ही आंवला मुरब्बा के लिए जाना जाने लगा। मौजूदा समय में इस गांव में 10 महिला स्वयं सहायता समूह हैं, जो आंवला मुरब्बा और आंवले से बनने वाले अन्य उत्पाद बनाते हैं। इन समूहों में सौ से भी अधिक महिलाएं काम करती हैं।
मिले कई पुरस्कार
भगवती यादव के काम में हाथ बंटाने वाले उनके पति दशरथ यादव बताते हैं कि इस साल आंवले की फसल कमजोर थी। जंगल के आंवले लोग जल्दी तोड़ लेते हैं। वे इस आंवले का उपयोग मुरब्बा बनाने में नहीं करते। वे किसानों के निजी बगीचों से आंवला खरीदते हैं, जिनकी तुड़ाई आंवला नवमी के बाद की जाती है।दशरथ यादव ने बताया कि अच्छे आंवला फलों की उपलब्धता पर निर्भर होता है कि कितना मुरब्बा बनेगा। हमारा समूह औसतन 30-40 क्विंटल मुरब्बा हर सीजन में तैयार करता है। मुरब्बा के अलावा आंवला अचार, आंवला कैंडी, आंवला सुपारी, आंवला चूर्ण व आंवले का रस भी हम तैयार करते हैं। समूह ने भोपाल, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद व त्रिमूल (केरल) में आंवला उत्पाद का प्रदर्शन मेलों में किया है, जहां कई पुरस्कार भी मिले हैं।
रिपोर्टः जयप्रकाश