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अधिकारियों ने कहा कि इस वर्ष जनवरी में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला कि अब पांच लाख टन क्षमता के नियंत्रित वातावरण भंडार की आवश्यकता है जबकि वर्तमान उपलब्धता 2.5 लाख टन की ही है। उस अंतर को पाटने के लिए, सरकार विभिन्न पहल योजना लेकर आई है।
कश्मीर घाटी में फल उत्पादकों की सुविधा के लिए प्रशासन इन दिनों खासा ध्यान दे रहा है। इस कड़ी में श्रीनगर में फल उत्पादकों, किसानों और नियंत्रित वातावरण वाले स्टोर मालिकों के लिए पहले भारत शीत श्रृंखला सम्मेलन (कोल्ड चेन कॉन्क्लेव) का आयोजन किया गया। इंडिया कोल्ड चेन कॉन्क्लेव का आयोजन कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में नेशनल सेंटर फॉर कोल्ड चेन डेवलपमेंट के सहयोग से उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (पीएचडीसीसीआई) ने किया। हम आपको बता दें कि इस सम्मेलन का उद्देश्य प्रशीतन क्षेत्र में प्रगति, विभिन्न उद्योगों पर उनके प्रभाव, लॉजिस्टिक क्षेत्र और जलवायु चुनौतियों से निपटने में उनकी भूमिका के बारे में जानकारी प्रदान करना है।
पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष (कश्मीर क्षेत्र) विक्की शॉ ने कहा, ‘‘यह पहली बार है कि हम कश्मीर में इतने बड़े पैमाने पर एक कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। यह एक बदलावकारी पहल है। यह फल उत्पादकों, किसानों और नियंत्रित माहौल वाले स्टोर मालिकों और कृषि क्षेत्र, बागवानी से जुड़े सभी लोगों की सुविधा के लिए है, वे सभी यहां हैं।’’ अधिकारियों ने कहा कि इस वर्ष जनवरी में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला कि अब पांच लाख टन क्षमता के नियंत्रित वातावरण भंडार की आवश्यकता है जबकि वर्तमान उपलब्धता 2.5 लाख टन की ही है। उस अंतर को पाटने के लिए, सरकार विभिन्न पहल योजना लेकर आई है। इसमें केंद्र की एमआईडीएच (मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टीकल्चर) योजना शामिल है। दूसरी ओर, घाटी में फल उत्पादकों ने इस पहल का स्वागत किया है। फल उत्पादक मोहम्मद सुल्तान भट ने कहा, ‘‘नियंत्रित वातावरण भंडारण नीति सरकार का एक बड़ा कदम है। इससे किसानों को लंबे समय में सहायता मिलेगी और उन्हें लाभ कमाने में मदद मिलेगी।’’
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