Special Food Of Mithila : क्या आपने खाई है वेजिटेरियन मछली? मिथिलांचल में है काफी मशहूर

अभिनव कुमार/दरभंगा : मिथिलांचल में जंगल झाड़ियां में उगने वाली लत्ती और पौधे की पहचान करने की बेहतर कला यहां के लोगों में होती है. इन लत्तीयों के साथ उनके पेड़ के फल के व्यंजन भी यहां के लोग स्वादिष्ट तरीके से और कई प्रकार से बनाते हैं. आज हम बात कर रहे हैं कदीमा के लत्ती की. जिसके पत्ते को यहां के लोग कई प्रकार के व्यंजनों के रूप में अपने खान-पान में शामिल करते हैं. इस कदीमा की लत्ती यहां जंगल झाड़ियां में यूं ही ऊपज जाते हैं. इस पत्ते से तैयार सब्जी के स्वाद के सामने मछली भी फेल है. इसे वेजिटेरियन लोगों की मछली भी कहते हैं.

मछली के मसालों से होता है तैयार

स्थानीय महिला बबीता देवी का कहना था कि कदीमा के लत्ती के जो पत्ते होते हैं, उसकी बहुत तरह से सब्जियां बनाई जाती है. एक साधारण साग भी इससे बनता है. मछली की तरह इसका साग बनता है, जो बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट होता है. इसमें मछली में डालने वाले सभी मसालों का उपयोग किया जाता है. जो कि इसका स्वाद और बढ़ा देता है.

मिथिलांचल में प्रचलित है यह व्यंजन

इसमें पड़ने वाले सरसों उसके बाद इस पत्ते की कुरकुरे फ्राई भी बनते हैं. जिसे देहाती बोलचाल भाषा में तरुआ कहा जाता है. अमूमन यह लत्ती जंगल झाड़ियां में देखने को मिल जाता है. बताया जाता है कि कदीमा के फल में पाए जाने वाले बीज को लोग अपने आसपास के खाली जमीन पर फेंक देते हैं. वह अपने आप बड़ा लत्ती के रूप में बन जाता है. इसमें कई सारे पौष्टिक आहार भी शामिल होते हैं. यही कारण है कि मिथिलांचल के लोग इसके व्यंजन बहुत ही शौक से बनने और खाते भी हैं.

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FIRST PUBLISHED : October 9, 2023, 08:45 IST

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