Somnath Temple: सोमनाथ मंदिर का क्या है इतिहास, जानें क्या है पौराणिक महत्व 

नई दिल्ली:

Somnath Temple: गुजरात में मौजूद सोमनाथ मंदिर का देश में काफी महत्व है. यह हिन्दू धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है. इस मंदिर का इतिहास बहुत समृद्धि, नाश और पुनर्निर्माण का इतिहास है. इस मंदिर के इतिहास बहुत प्राचीन महाभारत काल से जोड़ा जाता है. पुराणों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने सोमनाथ की स्थापना की थी. सोमनाथ मंदिर का प्रथम निर्माण गुजरात के चावड़ा राजा भीमदेव प्रथम द्वारा किया गया था. इसे 648 ईसा पूर्व में मंदिर की नींव रखी थी. सोमनाथ को लगातार घेरा गया और आक्रमण किया गया. मुस्लिम शासक महमूद गजनवी ने 1015 ईसा में सोमनाथ मंदिर पर हमला किया, जिससे मंदिर नुकसान उठाया और अनेक सालों तक वहां मुसलमानों ने राजा भीमदेव के मंदिर को कई बार तहस-नहस कर दिया.

1950 में भारत स्वतंत्र हुआ तब सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया और नए स्वरूप में उसे 1951 में पुनः खोला गया. हाल के समय में सोमनाथ मंदिर एक आधुनिक और सुंदर स्थल बन गया है जो लाखों यात्री और पर्यटकों को आकर्षित करता है. सोमनाथ  मंदिर का इतिहास इसके पुनर्निर्माण और संरक्षण के साथ संबंधित है. यह एक महत्वपूर्ण हिन्दू तीर्थ स्थल है जो भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास का हिस्सा है.

सोमनाथ मंदिर ने अपने इतिहास में कई बार आक्रमणों और तोड़फोड़ का सामना किया है. इस मंदिर को कई बार नष्ट होने का शिकार किया गया है, और उसे पुनः निर्माण किया गया है. यहां कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं हैं:

महमूद गजनवी के हमले (1015 ईसा पूर्व):

महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर 17 बार हमला किया, पहली बार 1015 ईसा पूर्व. इसके बाद उसने कई बार मंदिर को नष्ट किया और साम्राज्यिक लूट उठाई.

अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण (1299 ईसा पूर्व):

अलाउद्दीन खिलजी ने भी सोमनाथ मंदिर पर हमला किया और उसे तबाह कर दिया.

मुघल सम्राट अकबर का समर्थन (1573 ईसा पूर्व):

मुघल सम्राट अकबर ने 1573 में सोमनाथ को नष्ट होने से बचाया और मंदिर की मरम्मत के लिए धन दिया.

अंग्रेजों का हमला (1706 ईसा पूर्व):

सोमनाथ मंदिर ने अंग्रेजों के हमले का सामना भी किया, जिससे उसे बार-बार नष्ट होना पड़ा.

स्वतंत्रता संग्राम के बाद (1947 ईसा पूर्व):

भारत की स्वतंत्रता के बाद, सोमनाथ मंदिर को 1951 में पुनः निर्माण किया गया और वहां एक नया मंदिर बनाया गया.

ये आक्रमण सोमनाथ मंदिर के इतिहास में घटित हुए हैं और मंदिर का पुनर्निर्माण बार-बार होकर इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

 

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