Silkyara Tunnel Rescue: बीते 17 दिनों में मजदूरों को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन में कई बदलाव किए गए. कई मशीनें भी मंगवाई गईं. विदेशों से खास एक्सपर्ट का सुझाव भी लिया गया. इस दौरान कई रुकावटें सामने आईं.
बौख नाग देवता (Photo Credit: social media)
नई दिल्ली:
Silkyara Tunnel Rescue: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बीते 17 दिनों से 41 मजदूर जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे. आज यानि मंगलवार को सभी ने खुली हवा में सांस ली. आपको बता दें कि यमुनोत्री नेशनल हाइवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का हिस्सा ध्वस्त होने के बाद 41 श्रमिक फंस गए थे. इन्हें 17वें दिन निकाल लिया गया. पहले बैच में 5 मजदूरों को बाहर निकाला गया. इसके बाद धीरे-धीरे सभी को बाहर निकाल लिया. ये हादसा 12 नवंबर को हुआ था. बीते 17 दिनों में मजदूरों को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन में कई बदलाव किए गए. कई मशीनें भी मंगवाई गईं. विदेशों से खास एक्सपर्ट का सुझाव भी लिया गया. मगर लगातार अड़ंगे लग रहे थे.
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स्थानिय लोगों का ऐसा मानना है कि बाबा बौख नाग के प्रकोप की वजह से ये हादसा हुआ. स्थानीय लोगों का कहना है कि सुरंग हादसा किसी दैवीय प्रकोप की वजह से हुआ है. हादसा ईष्ट देवता भगवान बौख नाग देवता की नाराजगी की वजह से हुआ. बताया जा रहा है कि हादसे के कुछ दिन बाद सुरंग के मुहाने पर अस्थाई मंदिर को स्थापित किया गया. इसके बाद बाबा का आर्शीवाद लेकर ये रेस्क्यू ऑपरेशान जारी किया.
सुरंग के ठीक ऊपर बौख नाग देवता का मंदिर
हादसे को लेकर स्थानीय लोगों का मानना है कि सिलक्यारा सुरंग के ठीक ऊपर जंगल में बौख नाग देवता का मंदिर है. कंपनी ने जंगलों को छोड़ टनल बनाना शुरू किया. बदले में कंपनी ने टनल के पास देवता का मंदिर बनाने का वादा किया. मगर 2019 से अभी तक मंदिर नहीं बनाया. इसके साथ ग्रामीणों द्वारा बनाया छोटा मंदिर भी तोड़ दिया गया. कई बार लोगों ने कंपनी के अधिकारियों को
इसकी याद दिलाई. मगर अधिकारियों ने इस बात को गंभीरता ने नहीं लिया.
इसके बाद ही दुर्घटना हो गई. इसे देवता के प्रकोप की तरह देखा गया. इसके बाद दोबारा से बाबा का मंदिर स्थापित किया गया. पुरानी गाथाओं के अनुसार, बाबा बौख नाग सिलक्यारा समेत क्षेत्र के तीन पट्टियों के ईष्ट देवता माने जाते हैं.
इस मंदिर के अंदर भगवान नागराज की प्रतिमा है. ऐसी मान्यता है कि बाबा बौख नाग इस इलाके के रक्षक हैं. मंदिर के पुजारी गणेश प्रसाद बिजल्वाण के अनुसार, यहां फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के शुरुआती प्रयास विफल साबित हुए. इसके बाद कंपनी के अधिकारियों ने फोन किया था. उन्होंने माफी मांगी और विशेष पूजा कराने की बात को कहा. पूजा कराने के साथ मजदूरों को बचाने के लिए चल रहे रेस्क्यू की सफलता के लिए प्रार्थना की.
First Published : 28 Nov 2023, 10:54:03 PM