Shri Krishna Janmabhoomi case : ज्ञानवापी की तर्ज पर होगा मथुरा के शाही ईदगाह का सर्वे, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया आदेश

सौरव पाल/मथुरा : मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर एक बार फिर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई है. इस मामले में गुरुवार, (14 दिसंबर) को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में इस विवादित परिसर का सर्वे कराने की मंजूरी दे दी है. वाराणसी के ज्ञानवापी की तर्ज पर मथुरा के विवादित परिसर का भी एडवोकेट कमिश्नर से सर्वेक्षण कराया जाएगा.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद एक बार फिर से श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा गर्म हो गया है. हर कोई जानना चाहता है कि आखिर श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद का विवाद क्या है? कब और कैसे यह विवाद शुरू हुआ? हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के दावे क्या-क्या हैं?इतिहासकार और ब्रज संस्कृति शोध संस्थान के सचिव लक्ष्मीनारायण तिवारी बताते हैं कि आज के समय में जिस जन्म स्थान मंदिर के दर्शन के लिए सभी श्रद्धालु आते हैं. वह यहां बनने वाला चौथा मंदिर है जिसे आज़ादी के बाद मदन मोहन मालवीय, हनुमान प्रसाद पोद्दार, घनश्याम दास बिड़ला, स्वामी अखंडानंद सरस्वती, विष्णु हरि डालमिया, का एक संयुक्त अभियान था और सभी ने मिलकर वर्तमान मंदिर का निर्माण कराया था.

कितनी बार टूटा मंदिर?
लक्ष्मीनारायण तिवारी बताते हैं कि जन्मस्थान पर बने मंदिर पर 3 बार मुस्लिम शासकों ने आक्रमण किया. सबसे पहले सन् 1018 में सुल्तान महमूद गजनवी ने गुप्तकाल के बने केशवदेव मंदिर को तोड़ कर मंदिर का सारा खजाना लूट लिया था. जिसके बाद यहां के कृष्ण भक्तों ने मंदिर को दोबारा बनवाया. जिसके बाद पुनः सिकंदर लोदी ने जब मथुरा पर आक्रमण किया तब भी यहां बने भव्य मंदिर को तोड़ दिया गया. ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्म स्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट करके उसी जगह 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था. 1770 में गोवर्धन में मुगलों और मराठाओं में जंग हुई. इसमें मराठा जीते. जीत के बाद मराठाओं ने फिर से मंदिर का निर्माण कराया। 1935 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 13.37 एकड़ की भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को आवंटित कर दी. 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली.

क्या है पूरा विवाद?
शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा शहर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है. 12 अक्तूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ एक समझौता किया. समझौते में 13.37 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों के बने रहने की बात है. पूरा विवाद इसी 13.37 एकड़ जमीन को लेकर है. इस जमीन में से 10.9 एकड़ जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान और 2.5 एकड़ जमीन शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. इस समझौते में मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी और मुस्लिम पक्ष को बदले में पास में ही कुछ जगह दी गई थी. अब हिन्दू पक्ष पूरी 13.37 एकड़ जमीन पर कब्जे की मांग कर रहा है.

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