Shaurya Path: India-France, India-Maldives, Israel-Hamas, Russia-Ukraine और Pak-Afghan से संबंधित मुद्दों पर Brigadier Tripathi से वार्ता

नमस्कार प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह भारत-मालदीव संबंधों, फ्रांस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा, इजराइल-हमास संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध और पाकिस्तान-अफगानिस्तान संबंधों से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ चर्चा की गयी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-

प्रश्न-1. मालदीव ने अब चीन के जहाज को ठहरने की अनुमति दे दी है। क्या मालदीव की ओर से भारत को उकसाया जा रहा है?

उत्तर- भारत को उकसाने के प्रयास कई देश करते रहते हैं लेकिन भारत संयमित तरीके से ऐसा जवाब देता है जिसका दीर्घकालिक असर होता है। उन्होंने कहा कि वैसे भी हमें यह समझना होगा कि मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति और उनकी पार्टी भारत विरोधी रुख अख्तियार किये हुए है जबकि वहां की अन्य प्रमुख पार्टियां और नेता भारत के साथ हैं। उन्होंने कहा कि मालदीव में जल्द ही संसदीय चुनाव होने हैं इसलिए राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू इस तरह की राजनीति कर रहे हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमें यह भी देखना चाहिए कि सिर्फ चीनी जहाज ही वहां नहीं पहुँचा है बल्कि एक भारी भरकम चीनी प्रतिनिधिमंडल भी माले पहुँचा है। यह प्रतिनिधिमंडल उन समझौतों को आगे बढ़ाने आया है जोकि मुइज्जू की चीन यात्रा के दौरान किये गये थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह चीन माले में तेजी दिखा रहा है उसको देखते हुए यह साफ दिख रहा है कि शी जिनपिंग की रणनीति यह है कि जब तक स्थिति अनुकूल है तब तक ज्यादा से ज्यादा पांव फैला लिये जाएं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि मालदीव के दो प्रमुख विपक्षी दलों ने भारत को “सबसे पुराना सहयोगी” बताते हुए अपनी सरकार के “भारत विरोधी रुख” पर चिंता जताई है जोकि दर्शा रहा है कि वहां की जनभावना क्या है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने मालदीव के बारे में अब तक कोई भी नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है और वहां जारी विकास परियोजनाओं को पूरा करने और भविष्य में भी सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताकर वहां के लोगों का दिल जीत लिया है। भारत जानता है कि मालदीव की जनता के मन में जगह बना कर वहां के कुछ राजनीतिक दलों के भारत विरोधी रुख को बदला जा सकता है इसलिए हमारा देश उस रणनीति पर काम कर रहा है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जो चीनी जहाज आया है वह 2019 से घूम घूमकर जासूसी का काम ही कर रहा है। यह पहले श्रीलंका भी गया था लेकिन भारत की ओर से आपत्ति जताये जाने के बाद श्रीलंका ने इसे भगा दिया और अब यह मालदीव पहुँचा है। हालांकि आधिकारिक तौर पर यही कहा गया है कि यह जहाज अध्ययन के दौरे पर आया है लेकिन सब जानते हैं कि चीन अध्ययन करता है या जासूसी। उन्होंने कहा कि मरीन ट्रैकर ऐप दिखाता है कि चीनी जहाज जावा और सुमात्रा के बीच सुंडा जलडमरूमध्य को पार करने के बाद अब इंडोनेशिया के तट पर रवाना हो रहा है और यह 8 फरवरी को माले में पहुंचने वाला है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अपनी इंडिया आउट नीति को आगे बढ़ा रहे मुइज्जू की हर हरकत पर भारत की पैनी नजर बनी हुई है और हमारे देश ने पहले भी इस चीनी जहाज के जासूसी के प्रयासों को विफल किया है। उन्होंने कहा कि यह सही है कि चीन इस पूरे क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है लेकिन हो सकता है कि मालदीव के संसदीय चुनावों में राष्ट्रपति की पार्टी को ऐसा झटका लग जाये कि वो भारत विरोधी नीतियों पर आगे ही नहीं बढ़ पायें। उन्होंने कहा कि कई बार एक्शन के बारे में बताया नहीं जाता है एक्शन कर दिया जाता है। इसलिए मालदीव में 15 मार्च को होने वाले संसदीय चुनावों का इंतजार कीजिये, निश्चित ही स्थिति में बड़ा बदलाव आयेगा।

प्रश्न-2. फ्रांस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा को कैसे देखते हैं आप? इससे दोनों देशों के रक्षा और रणनीतिक संबंधों पर क्या असर पड़ने वाला है?

उत्तर- फ्रांस के राष्ट्रपति का भारत आगमन वह भी सीधे जयपुर आकर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ रोड़ शो करना ऐतिहासिक है। उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों के मजबूत संबंधों को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि भारत जिस तरह से रोड़ शो के माध्यम से विदेशी नेताओं को भारतीयों के करीब ला रहा है उससे उन देशों के साथ भारत के संबंधों में बड़ा सुधार आ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत और फ्रांस के संबंध वैसे भी समय की कसौटी पर हमेशा खरे उतरे हैं और भारत ने जब परमाणु परीक्षण किया था तब भी दुनिया के कई बड़े देश भारत के विरोध में खड़े हो गये थे लेकिन फ्रांस ने ऐसा नहीं किया था। उन्होंने कहा कि रक्षा सौदों से लेकर अन्य व्यापारिक करारों से भी दोनों देशों के रिश्ते लगातार मजबूत होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि फ्रांस ने सदा ही संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। साथ ही अब तक फ्रांस के पांच राष्ट्रपति भारत आ चुके हैं जो दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि वैसे भी फ्रांस के राष्ट्रपति को प्रस्तावित क्वॉड बैठक में भाग लेने के लिए भारत आना ही था मगर अमेरिकी राष्ट्रपति के घरेलू राजनीति में उलझे होने के चलते जब वह गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि नहीं बन पाये तो फ्रांस के राष्ट्रपति को आमंत्रित कर लिया गया। उन्होंने कहा कि जिस तरह ऐन वक्त पर फ्रांस के राष्ट्रपति ने मुख्य अतिथि बनने का निमंत्रण स्वीकारा वह यह भी दर्शाता है कि मोदी और मैक्रों के संबंध कितने सहज और गहरे हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मैक्रों इस भव्य कार्यक्रम में शामिल होने वाले फ्रांस के छठे नेता होंगे।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच जयपुर में हुई वार्ता के एजेंडा में रक्षा और सुरक्षा, व्यापार, जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा और छात्रों और पेशेवरों की आवाजाही जैसे क्षेत्रों में सहयोग शामिल रहा। उन्होंने कहा कि मैक्रों की यात्रा ऐसे समय हो रही है जब दोनों देशों के शीर्ष वार्ताकार भारत द्वारा 26 राफेल-एम (समुद्री संस्करण) लड़ाकू विमान और फ्रांसीसी-डिज़ाइन वाली तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद के लिए दो रक्षा सौदों को अंतिम रूप देने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समझा जाता है कि इस खरीद के सिलसिले में कीमत और विभिन्न तकनीकी पहलुओं सहित बातचीत में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अपनी रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत के 25 साल बाद, फ्रांस और भारत ने अगले 25 साल के लिए नए साझा लक्ष्य तय किए हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा दोनों देश अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में योगदान देने में भी महत्वपूर्ण भागीदार हैं, खासकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में, जहां दोनों देशों ने “संयुक्त रणनीति” लागू की है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मैक्रों के रोड शो के माध्यम से लोगों से लोगों का संपर्क बढ़ेगा जिससे भारतीय छात्रों, कलाकारों, निवेशकों और पर्यटकों के लिए अधिक अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि फ्रांस ने घोषणा भी की है कि वह फ्रांस 2030 तक अपने यहां 30,000 भारतीय छात्रों का स्वागत करना चाहता है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस बार गणतंत्र दिवस परेड में फ्रांस का 95-सदस्यीय मार्चिंग दस्ता और 33-सदस्यीय बैंड दस्ता भी शामिल होगा। फ्रांस की वायु सेना के दो राफेल लड़ाकू विमान और एक एयरबस ए330 मल्टी-रोल टैंकर परिवहन विमान भी समारोह में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी भी पिछले साल 14 जुलाई को पेरिस में आयोजित ‘बैस्टिल’ दिवस परेड में सम्मानित अतिथि थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति मैक्रों ने पिछले साल सितंबर में जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत का दौरा किया था और प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की थी और अब जयपुर में हुई वार्ता ने दोनों देशों के संबंधों को और गहरा कर दिया है।

प्रश्न-3. इजराइल-हमास संघर्ष अब किस दिशा में बढ़ रहा है?

उत्तर- ऐसा लगता है कि इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू यह ठान कर बैठे हैं कि गाजा को पूरी तरह बर्बाद करके ही दम लेंगे इसलिए वह किसी की बात नहीं सुन रहे हैं और संघर्षविराम के प्रयास आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ताजा खबर यह है कि इज़रायली सेना ने गाजा के मुख्य दक्षिणी शहर खान यूनिस में दो अस्पतालों के आसपास के क्षेत्रों पर लगातार बमबारी की, जिससे बड़ी संख्या में विस्थापित लोग मारे गए। उन्होंने कहा कि दक्षिण में हमास के मुख्य गढ़ पर कब्ज़ा करने के लिए एक आक्रामक हमला था। उन्होंने कहा कि गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि पिछले 24 घंटों में खान यूनिस में एक आवासीय घर पर हुए इजरायली हवाई हमले में कम से कम 50 फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें दो बच्चे भी शामिल हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि स्थानीय निवासियों का कहना है कि शहर अब इज़रायली बख्तरबंद बलों से घिरा हुआ है और लगभग बिना रुके हवाई और जमीनी गोलाबारी जारी है। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनी चिकित्सकों ने भी कहा है कि इज़रायली टैंक आते जा रहे हैं और शहर के दो मुख्य अस्पतालों- नासिर और अल-अमल के आसपास के लक्ष्यों पर गोलाबारी कर रहे हैं, जिससे चिकित्सा दल, मरीज़ और विस्थापित लोग अंदर या आस-पास शरण ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो गाजा पट्टी की 2.3 मिलियन आबादी में से अधिकांश अब खान यूनिस और इसके उत्तर और दक्षिण में स्थित कस्बों में सिमट गई है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इज़रायली बलों द्वारा खान यूनिस के मुख्य अस्पतालों की घेराबंदी इसलिए की जा रही है क्योंकि इज़रायल का कहना है कि हमास के आतंकवादी हमलों के लिए इनका आधार के रूप में उपयोग करते हैं, हालांकि इस्लामी समूह और अस्पताल के कर्मचारी इस बात से इंकार करते हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों और निवासियों का कहना है कि इज़रायली सेना के आगे बढ़ने के चलते विस्थापित लोगों को सुरक्षित आश्रय के स्थान लगातार कम होते जा रहे हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि इज़रायली टैंकों ने गाजा में विस्थापित फ़िलिस्तीनियों को शरण देने वाले संयुक्त राष्ट्र के एक बड़े परिसर पर हमला किया, जिसमें कम से कम नौ लोग मारे गए और 75 घायल हो गए। उन्होंने कहा कि लेकिन इज़रायल ने इन घटनाओं के लिए अपनी सेना को जिम्मेदार ठहराने से इंकार किया और कहा कि हमास ने गोलाबारी शुरू की होगी। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि दुनिया की सबसे घनी आबादी वाले और व्यापक रूप से गरीब स्थानों में से एक गाजा में कम से कम 25,700 लोग मारे गए हैं और इजरायली बमबारी से क्षेत्र का बड़ा हिस्सा नष्ट हो गया है।

प्रश्न-4. रूस-यूक्रेन युद्ध में ताजा अपडेट क्या है? बताया जा रहा है कि पेंटागन के पास अब यूक्रेन को मदद देने के लिए बजट नहीं है। इससे क्या असर पड़ेगा?

उत्तर- यूक्रेन के युद्धबंदियों को लेकर जा रहा जो रूसी विमान क्रैश हुआ फिलहाल उसे लेकर रूस और यूक्रेन में आरोप-प्रत्यारोप जारी है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि यूक्रेन की सीमा के पास दुर्घटनाग्रस्त हुए इल्यूशिन-76 विमान को यूक्रेनी वायु सुरक्षा बलों ने जानबूझकर या गलती से मार गिराया था। वहीं यूक्रेन आरोपों से इंकार कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा इस सप्ताह की शुरुआत में यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खार्किव पर रूसी मिसाइल हमलों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा इस समय जितनी भी खबरें इस युद्ध को लेकर आ रही हैं वह यूक्रेन में बढ़ रहे नुकसान को ही दर्शा रही हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कह दिया है कि अब उसके पास यूक्रेन को मदद देने के लिए बजट नहीं है। उन्होंने कहा कि यह यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदमीर जेलेंस्की के लिए बड़े झटके के समान है क्योंकि अमेरिका में घरेलू राजनीति के चलते राष्ट्रपति जो बाइडन भी ज्यादा मदद दे पाने में सक्षम नजर नहीं आ रहे हैं। बाइडन को इससे पहले भी अमेरिकी संसद में काफी प्रयास करने पड़े थे यूक्रेन को मदद दिलाने के लिए। उन्होंने कहा कि यह सब देखकर नाटो के अन्य देश भी यूक्रेन की मदद से हाथ पीछे खींच सकते हैं जोकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए बड़ी जीत के समान होगा।

प्रश्न-5. काफी मशक्कत के बाद पाकिस्तान-अफगानिस्तान की सीमाएं अब खुल गयी हैं, इसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने 23 जनवरी को एक प्रमुख व्यापार क्रॉसिंग को फिर से खोल दिया। उन्होंने कहा कि यात्रा दस्तावेजों पर विवाद के बाद इस्लामाबाद ने सीमा पार से होने वाली गतिविधियों पर रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा कि 12 जनवरी से तोरखम सीमा को बंद कर दिया गया था, जब इस्लामाबाद ने सख्त नियंत्रण लागू कर दिया था, जिसके तहत दोनों तरफ के ड्राइवरों के लिए वीजा और पासपोर्ट की आवश्यकता थी। ऐसे दस्तावेज़ कई अफ़गानों के पास नहीं हैं इसलिए अफगानिस्तान के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गयी थी। लेकिन दोनों पक्षों ने काफी चर्चाओं के बाद अब सीमा को खोल दिया है जोकि दर्शाता है कि संबंधों में सुधार के प्रयास जारी हैं।

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